सभी आशा अपने पोषण क्षेत्र के एक से 15 साल के बच्चों की तैयार करेंगी लाइन लिस्ट:-डॉ. शैलेन्द्र

बक्सर:-जिले में बढ़ते तापमान के साथ स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता भी बढ़ती जा रही। मौसम विभाग के आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार गुरुवार को जिले का अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। ऐसे में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने सिविल सर्जन समेत डीपीएम, डीसीएम व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र जारी किया है। जिसमें चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए सभी आशा कार्यकर्ताओं को अपने पोषण क्षेत्र के एक से 15 साल तक के बच्चों की सूची तैयार करने के निर्देश दिया गया है। इसके लिए अपर निदेशक ने संशोधित सर्वे फॉर्म भी जारी किया है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि सभी आशा कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र में सभी घरों में जाकर एक से 15 साल तक के बच्चों का लाइन लिस्ट तैयार करेंगी। जिसमें उन्हें बच्चों में जेई-1 व जेई-2 के टीकाकरण के साथ साथ बच्चों में कुपोषण, दिव्यांगता और अन्य सभी जानकारी भरनी है। इस सर्वे फॉर्म को भर कर सभी आशा कार्यकर्ताएं संबंधित प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक को समर्पित करेंगी। जिसके बाद जेई के टीकों से वंचित बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें टीकाकृत करने के लिए विशेष शिविर लगाया जाएगा। ताकि, जिले में बढ़ती गर्मी के कारण बच्चों को एईएस, जेई से बचाया जा सके। तीन माह तक एईएस का खतरा सबसे अधिक:-डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार में एईएस-जेई का खतरा सबसे अधिक अप्रैल से जून तक रहता है। इन तीन महीनों में गर्मी और हीट वेव अपने चरम पर होता है। इसके कारण एईएस, जेई की संभावना भी अधिक रहती है। इसलिए राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर एईएस, जेई से लड़ने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं।           जिले की जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सों को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है व आवश्यक जानकारी दी जा गई हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को एईएस, जेई से बचाने के लिए माता-पिता को शिशुओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर उनकी देखभाल करते रहना चाहिए। साथ ही, बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए मौसमी फलों, सूखे मेवों आदि का सेवन कराना चाहिए। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। बेहोशी व चमक की हालत में बच्चों को ले जाएं अस्पताल:-वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि एईएस से बचाव के लिए अभिभावक अपने स्तर से भी अनुश्रवण व प्रबंधन कर सकते हैं। चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिऐ बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाकर देखें कि कहीं वे बेहोशी या चमक की हालत में तो नहीं है। बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से सरकारी अस्पताल ले जाएं और उन्हें तेज धुप से दूर रखें। बच्चों के कमरों को ठंडा रखें। उन्हें अधिक से अधिक पानी, ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं। हल्का व साधारण खाना खिलाएं, बच्चो को जंक-फुड से दूर रखें। खाली पेट लिची ना खिलाएं। बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं। साथ ही, घर के आसपास पानी जमा न होने दें और रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

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