बिहार वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन सभागार में राज्यस्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

पटना:-शुक्रवार को बिहार वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन सभागार में यौन प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।         कार्यशाला में सांझा प्रयास नेटवर्क से जुड़े राज्य के सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन के विभिन्न जिलों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. इसके अलावा कार्यशाला में बीवीएचए के कार्यपालक निदेशक स्वपन मजुमदार, आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन, नई दिल्ली से डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी, आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन, बिहार से संजय कुमार त्रिवेदी पीएमसीएच की पूर्व प्रोफेसर एवं स्त्री रोग विशेषग्य डॉ. रीता झा एवं डॉ. मधुमिता मुख़र्जी, निदेशक, सोशल ऑडिट, बिहार सरकार, विनय कुमार ओहदार सहित अन्य पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित रहे.आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन, नई दिल्ली से डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी ने आई पास द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन में किये गए कार्यों एवं सांझा प्रयास नेटवर्क से जुड़े राज्य के सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन के कार्यों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन प्रयासरत है कि उद्देश्य प्राप्ति में लगे संस्थाओं को वित्तीय कमी नहीं महसूस हो.कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीएमसीएच की पूर्व प्रोफेसर एवं स्त्री रोग विशेषग्य डॉ. रीता झा ने कहा कि भ्रूण जांच में गर्भस्थ शिशु का लिंग तेरहवें हफ्ते का बाद ही पता चलता है और ऐसा करना पूरी तरह गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि 20-24 हफ्ते तक गर्भसमापन सिर्फ विशेष परिस्थिति में ही किया जा सकता है. 24 हफ्ते के बाद गर्भसमापन मेडिकल बोर्ड की स्वीकृति के बाद ही हो सकता है. उन्होंने बताया कि गर्भसमापन की किसी भी सूरत में महिला की पहचान गुप्त रखना अनिवार्य है.पीएमसीएच की पूर्व प्रोफेसर एवं स्त्री रोग विशेषग्य डॉ. मधुमिता मुख़र्जी ने अपने संबोधन में कहा कि गर्भसमापन को परिवार नियोजन का जरिया नहीं समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि दो बच्चों के बीच अंतर रखना जनसँख्या नियंत्रण के लिए जरुरी है. उन्होंने कहा कि महिला को अधिकार है की वह बच्चा कब चाहती है और कितने बच्चे चाहती है।          निदेशक, सोशल ऑडिट, बिहार सरकार, विनय कुमार ओहदार ने कहा कि सुरक्षित गर्भसमापन के संस्थानों को और बढ़ाने की जरुरत है. लोगों में अभी भी सुरक्षित गर्भसमापन के फायदों को समझने की जरुरत है और इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की जरुरत है.
कार्यशाला में और वक्ताओं ने भी अपनी राय रखी. कार्यक्रम का संचालन बीवीएचए के कार्यपालक निदेशक स्वपन मजुमदार ने किया।

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