सहरसा के गांवों में उम्मीदों की नई सुबह

सहरसा:- ज़िले के गाँवों में एक नई शुरुआत हो रही है । जहाँ कभी सिर्फ़ खामोशी और परंपराओं की जंजीरें थीं, वहाँ अब आत्मविश्वास और बदलाव की आवाज़ गूंज रही है।          इन चौपालों में महिलाएं अब न केवल सवाल उठा रही हैं, बल्कि बदलाव की राह खुद तैयार कर रही हैं। इस परिवर्तन का आधार बना है ‘महिला संवाद’ एक ऐसा अभियान, जिसने सरकारी योजना से आगे बढ़कर एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है। आँकड़ों से परे, कहानियों का कारवाँ: महिला संवाद की यह यात्रा अब 924 ग्राम संगठनों तक पहुँच चुकी है, और इनसे जुड़ी दो लाख तीस हज़ार से अधिक महिलाएं न केवल श्रोता हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव की सशक्त वाहक बन गई हैं। यह केवल संख्या नहीं है, बल्कि हर आँकड़ा एक प्रेरक कहानी का हिस्सा है कहानियाँ उन महिलाओं की, जिन्होंने चुप रहना छोड़ा और अब अपने अधिकारों और नेतृत्व के लिए खड़ी हो रही हैं।           एक दिन, एक नई दिशा 26 मई 2025 को इस आंदोलन ने एक और उपलब्धि हासिल की। ज़िले के 24 स्थानों पर महिला संवाद सत्र आयोजित हुए, जिनमें 6000 से अधिक महिलाओं ने अपनी भागीदारी दी। ये आयोजन किसी साधारण सभा से कहीं बढ़कर सामुदायिक चेतना के उत्सव बन गए। यहाँ महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए, सपनों को शब्द दिए और एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाए। तकनीक से सशक्त हो रहा संवाद: इस पूरी प्रक्रिया में तकनीक ने एक अहम भूमिका निभाई। मोबाइल संवाद रथ 12 डिजिटल इकाइयाँ हर गाँव में पहुँचकर सरकारी योजनाओं की जानकारी, प्रेरक कहानियाँ और महिलाओं के अनुभव साझा कर रही हैं। एलईडी स्क्रीन पर प्रसारित सामग्री ने इन संवादों को सिर्फ़ ज्ञानवर्धक ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायक भी बना दिया। सवाल जो बदलाव का आह्वान बन गए: महिला संवाद में उठे सवाल अब व्यक्तिगत समस्याएँ नहीं रहे । “पेंशन में कटौती क्यों?”, “कॉलेज इतने दूर क्यों?”, “सड़कों पर रोशनी कब आएगी?”ये सवाल अब सामाजिक बदलाव की नींव बन रहे हैं। महिलाएं केवल समस्याओं को उजागर नहीं कर रहीं, बल्कि नीति निर्माण में भागीदारी की राह भी खोल रही हैं। सशक्त अनुभवों की गूँज सत्तरकटैया प्रखंड के बिजलपूर पंचायत की लक्ष्मी देवी ने जब अपनी यात्रा साझा की, तो उनकी सादगी में गहराई और सच्चाई थी।          उन्होंने कहा, “पहले हम चुप रहते थे, अब बोलते हैं… और हमें सुना भी जा रहा है।” यह कथन सिर्फ़ एक वाक्य नहीं, बल्कि सदियों की खामोशी को तोड़ने का उद्घोष था। संवाद से नीतियों तक: महिला संवाद की सबसे बड़ी ताकत इसकी निरंतरता और गहराई है। हर सुझाव और हर विचार को डिजिटली रिकॉर्ड कर नीति निर्माताओं तक पहुँचाया जा रहा है। यह पहल ज़मीन से उपजी समस्याओं को नीतिगत समाधान तक पहुँचाने का माध्यम बन चुकी है।

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