प्रभावित गांवों में घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ताएं खोजेंगी कालाजार के लक्षण वाले मरीज

आरा:-कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति तत्पर है। इसके तहत हाल ही में जिले में प्रभावित इलाकों में इंडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस) के तहत दवाओं का छिड़काव किया गया था। वहीं, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय अब प्रभावित गांवों में घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान शुरू किया गया है।          जिसके तहत प्रभावित गांव व वार्ड में आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर परिवार के सदस्यों में कालाजार के लक्षण की जांच करेंगी। साथ ही, उसकी रिपोर्ट संबंधित प्रखंड अंतर्गत प्राथिमक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को देंगी। वहीं, खोज अभियान के दौरान यदि किसी में कालाजार के लक्षण दिखाई देते है तो स्वास्थ्य टीम उक्त मरीज के घर जाकर लक्षणों की जांच करेगी। जिसमें कालाजार की पुष्टि होने पर उसका इलाज शुरू किया जाएगा। इस संबंध में प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि जिले के प्रभावित चार गांव व वार्ड में कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है। इनमें बिहिया प्रखंड अंतर्गत मोती रामपुर गांव, जगदीशपुर प्रखंड के सियारुंवा गांव, आरा ग्रामीण में जमीरा व आरा शहरी में धरहरा गांव शामिल हैं। इन गांवों में 15 जून तक अभियान चलाया जाएगा, जिसका प्रतिदिन अनुश्रवण किया जाएगा। 20 एनटीडी रोगों में कालाजार भी शामिल:-डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने के कारण उष्णकटिबंधीय (एनटीडी) रोगों के 20 बीमारियों में कालाजार भी शामिल है। एनटीडी रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई मामलों में ये पीड़ित की मौत भी हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि कालाजार के संबंध में लोगों को यह बात जाननी जरूरी है कि इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो चुके मरीज दोबारा से इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में मरीज के शरीर पर त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस रोग होने की संभावना रहती है। इसे त्वचा का कालाजार (पीकेडीएल) भी कहा जाता है। पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है। इसके लिए लगातार 12 सप्ताह तक दवा का सेवन करना पड़ता है। साथ ही, इलाज के बाद मरीज को 4000 रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जाता है। इसलिए पीकेडीएल से बचने के लिए मरीजों को कालाजार के इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है।
कालाजार उन्मूलन की राह में पीकेडीएल एक बड़ी बाधा:-
वीबीडीसीओ अजीत कुमार पटेल ने बताया कि कालाजार उन्मूलन की राह में पीकेडीएल (त्वचा का कालाजार) एक बड़ी बाधा साबित होता है, क्योंकि संक्रामकता तेजी से फैलती है। पीकेडीएल यानी त्वचा का कालाजार एक ऐसी स्थिति है, जब एलडी बॉडी नामक परजीवी त्वचा कोशिकाओं पर आक्रमण कर उन्हें संक्रमित कर देता और वहीं रहते हुए विकसित होकर त्वचा पर घाव के रूप में उभरने लगता है। उन्हें बार-बार बुखार आने लगता है। साथ ही, भूख में कमी, वजन का घटना, थकान महसूस होना, पेट का बढ़ जाना आदि इसके लक्षण के रूप में दिखाई देने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति को तुरंत नजदीक के अस्पताल में जाकर अपनी जांच करानी चाहिए। ठीक होने के बाद भी कुछ व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते या दाग होने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को भी अस्पताल जाकर अपनी जांच करानी चाहिए।

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