एमएमडीपी किट के नियमित प्रयोग से हाथीपांव के मरीजों को मिलेगा लाभ

पटना:-फाइलेरिया जानलेवा नहीं,पर एक घातक बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए कई प्रकार के अभियान चला रहा है।          ताकि फाइलेरिया बीमारी का उन्मूलन अपने राज्य से जल्द से जल्द हो सके। इसी मुहिम के तहत गुरुवार को आयुष्मान आरोग्य केंद्र, चंदुआरा, पुनपुन में डुमरी पंचायत के पंच मनोज कुमार अरोड़ा और सीएचओ रश्मि कुमारी की उपस्थिति में 7 हाथीपांव से ग्रसित मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया। इस दौरान सीएचओ सह पीएसपी सदस्य रश्मि कुमारी ने फाइलेरिया मरीज सुशीला देवी के पैरों की साफ-सफाई की। साथ ही ट्रेनिंग में मौजूद फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी प्रशिक्षण के बारे में बताया। सीएचओ ने कहा कि एमएमडीपी किट का नियमित इस्तेमाल कर हाथीपांव के मरीज अपने बीमारी की बढ़ोतरी पर काबू पा सकते हैं। लेकिन इसके लिए मरीजों को स्वयं जागरूक होना होगा। तभी उन्हें हाथीपांव की बीमारी से राहत मिलेगी। सीएचओ रश्मि कुमारी ने कहा कि सरकार ने फाइलेरिया को मिटाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। इस बीमारी से बचाव के लिए साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। इस दौरान फाइलेरिया मरीजों के साथ-साथ सभी स्वस्थ लोगों को दवा सेवन करना चाहिए। तभी हमारे गांव, पंचायत और प्रखंड से फाइलेरिया बीमारी का उन्मूलन होगा। इस मौके पर फाइलेरिया मरीज बाबूनंद सिंह,नंदकेश्वर भगत, मीणा देवी, मनोरमा देवी, मानपति देवी और सुषम देवी को एमएमडीपी किट दिया गया एवं आशा मीना सिंहा, खुश्बू कुमारी, आशा देवी और एएनएम साबित कुमारी मरीजों को दिया गया आवश्यक प्रशिक्षण और किट:-एमएमडीपी किट में मरीजों को डेटॉल साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, टब,चप्पल, मग, तौलिया, और अन्य सामग्री प्रदान की गई। साथ ही सीएचओ ने मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की नियमित देखभाल के तरीके सिखाए। मरीजों को बताया गया कि कैसे डेटॉल साबुन से सफाई और एंटीसेप्टिक क्रीम का उपयोग संक्रमण को नियंत्रित कर सकता है। रोग की पहचान होने पर इसे रोकना संभव:-डुमरी पंचायत के पंच मनोज कुमार अरोड़ा ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता। लेकिन संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आते हैं।          इससे या तो व्यक्ति को हाथ-पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित होने के बाद मरीजों को प्रभावित अंगों की साफ-सफाई सहित अन्य बातों को समुचित ध्यान रखना जरूरी होता है।

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