फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर कार्य के लिए मुखियाओं का हुआ सम्मान

पटना:-“राज्य को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से पूरी तरह मुक्त करने के लिए समन्वित और एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है. राज्य सरकार एवं पीरामल फाउंडेशन फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है”, उक्त बातें मंगलवार को पटना में पीरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित “फाइलेरिया मुक्त पंचायत पहल” कार्यशाला में पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कही।          उन्होंने राज्य के मुखियाजनों को प्रशस्ति पत्र एवं जिला परिषद अध्यक्षों को स्मृति चिन्ह देकर फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया. कार्यशाला में मंत्री के साथ कई वरिष्ठ अधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि और संस्था से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए. कार्यशाला में पंचायतों की भूमिका को केंद्र में रखते हुए फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर रणनीति और सहभागिता पर विस्तृत चर्चा की गई। मंत्री ने स्पष्ट किया कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से लड़ाई केवल किसी एक संस्था या सरकार के प्रयास से संभव नहीं है. इसके लिए पंचायत स्तर पर कार्य करने वाले सभी जनप्रतिनिधियों जैसे मुखिया, पंचायत सदस्य, वार्ड सदस्य और जिला परिषद सदस्य की सक्रिय और समन्वित भागीदारी आवश्यक है. जब तक सभी प्रतिनिधि मिलकर एकजुट होकर काम नहीं करेंगे, तब तक फाइलेरिया जैसी बीमारी का उन्मूलन संभव नहीं हो पाएगा।          उन्होंने अपील की कि पंचायतों में पहले से चल रहे नौ प्रमुख विकास थीम के साथ फाइलेरिया उन्मूलन को भी जोड़ें. प्रधानमंत्री का सपना है कि भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने और गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचे. यह तभी संभव होगा जब फाइलेरिया जैसी बीमारियों को जड़ से खत्म किया जाए.अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (फ़ाइलेरिया) डॉ. श्यामा राय ने बताया कि राज्य में फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाये जाने वाले सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में पंचायतों के मुखिया द्वारा अत्यंत ही सराहनीय काम किया गया है।           यह कार्यशाला न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मजबूत पहल है बल्कि पंचायत को सशक्त बनाकर स्वस्थ और रोगमुक्त समाज की स्थापना की दिशा में एक ठोस पहल है।एस्पिरएशनल भारत कोलेबओरेटिव के सीईओ मनमोहन सिंह ने कहा कि पीरामल फाउंडेशन 1932 से देश भर में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही है, और सरकार के साथ मिलकर ज़मीनी स्तर पर बदलाव ला रही है. उन्होंने कहा कि अगर समाज में परिवर्तन लाना है तो सबसे पहले पंचायत स्तर से शुरुआत करनी होगी. गांवों में जब कोई समस्या आती है तो सबसे पहले मुखिया ही लोगों के पास पहुँचते हैं. इसलिए फाइलेरिया जैसे रोग के खिलाफ लड़ाई में पंचायतों की भूमिका सबसे अहम है. उन्होंने बताया कि फाउंडेशन अंतिम पायदान पर खड़े समुदायों के साथ मिलकर काम करता है, जिससे हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें और रोगों से बचाव हो.इस मौके पर फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान से जुड़े विकास सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।                              उन्होंने कहा कि हमारी टीम सरकार और पंचायतों के साथ मिलकर लगातार फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रयासरत है. अगर सभी विभाग और पंचायत प्रतिनिधि मिलकर काम करें, तो इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है. कार्यक्रम में अन्य उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपने विचार साझा किए और सभी ने एकजुट होकर “फाइलेरिया मुक्त पंचायत” के लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया।

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