कालाजार की वर्तमान स्थिति को बनाये रखने पर विभाग का फोकस

पटना:- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने के कारण भारत में कम से कम 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधी (एनटीडी) रोग मौजूद हैं. इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं. मालूम हो कि राज्य कालाजार उन्मूलन लक्ष्य 2026 के विरुद्ध 2022 में ही कालाजार के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर चुका है. कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य का अर्थ प्रति 10 हजार की आबादी पर एक से भी कम मरीजों का मिलना है. राज्य ने विगत दो वर्षों से कालाजार पूर्ण उन्मूलन को यथावत रखा है। राज्य कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य वर्ष के पहले ही कालाजार मुक्त हो चुका है।           अब विभाग का फोकस कालाजार के वर्तमान स्थिति को बनाए रखने के साथ शून्य कालाजार रोगियों की तरफ है. इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में आर के -39 से जांच की सुविधा व उपचार उपलब्ध है. इसके अलावा बालू मक्खी पर नियंत्रण के लिए प्रभावित जिलों के राजस्व ग्रामों में आइआरएस चक्र भी चलाए जा रहे हैं.कालाजार मरीजों को एक छत के नीचे सभी संबंधित चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य में सारण एवं पूर्णिया में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस संचालित है. पहले कालाजार से संबंधित कई तरह की जांच के लिए संदिग्ध मरीजों को पटना जाना पड़ता था. अब सारण एवं पूर्णिया में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस संचालित होने से उक्त जिलों के साथ आस पास के क्षेत्रों के संदिग्ध मरीजों को भी सहूलियत हो गयी है. इन सेंटरों पर सुविधाओं का नियमित उन्नयन किया जा रहा है.वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि साल में 4 बार घर-घर कालाजार रोगियों की खोज की जाती है. रोगियों की सरकारी अस्पतालों में इलाज के बाद मुख्यमंत्री कालाजार रोगी सहायता से श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 6600 रुपए एवं भारत सरकार के द्वारा 500 रुपए भुगतान के रूप में दिए जाते हैं. चमड़ी का कालाजार ( पीकेडीएल ) मरीजों को भारत सरकार द्वारा एकमुश्त 4000 रुपए प्रति मरीज क्षतिपूर्ति राशि भुगतान का प्रावधान है.कालाजार उन्मूलन पर गतिविधियों का दोहरा वार:-कालाजार उन्मूलन के लिए साल में दो बार सिंथेटिक पाराथाईराइड का छिड़काव किया जाता है. 60 दिवसीय पहला चक्र मार्च से मई एवं दूसरा चक्र अगस्त से अक्टूबर में किया जाता है. राज्य में कालाजार मरीजों की जांच एवं उपचार के लिए 88 उपचार केंद्र चिन्हित हैं एवं साथ ही राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संभावित चमड़ी के कालाजार मरीजों की जांच एवं उपचार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है. गंभीर मरीजों की जांच एवं उपचार के लिए तीन सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस पटना स्थित आरएमआरआई, सारण एवं पुर्णिया में क्रियाशील है।

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