बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण एनआरसी जैसी कवायद है:-माले

सहरसा:-भाकपा (माले) जिला इकाई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण शुरू किए जाने की प्रक्रिया को गंभीर चिंता का विषय बताया है और इसे एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) जैसी कवायद करार दिया है और कहा कि यह कवायद असम में हुए एनआरसी अभ्यास की याद दिलाती है बिहार जैसे राज्य में इस तरह की प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक रूप से अव्यावहारिक है बल्कि इससे बड़े पैमाने पर आम जनता विशेषकर गरीब, दलित, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग मतदाता सूची से बाहर कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे किसी व्यक्ति को अपने माता या पिता में से किसी एक के भारतीय नागरिक होने और 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने की जो शर्तें लगाई जा रही है वे असम जैसे उदाहरणों से साफ है कि कैसे यह लाखों लोगों को उनके संवैधानिक मताधिकार से वंचित कर सकती है यह न केवल लोगों को मतदान से वंचित करने वाला कदम है बल्कि इससे चुनाव की तैयारी पूरी तरह से पटरी से उतर सकती है बिहार में चुनाव की घोषणा में महज 2 महीने का समय रह गया है ऐसे में इतना बड़ा अभियान केवल एक महीने में कैसे पूरा किया जाएगा, यह सवाल भी उठता है चुनाव आयोग से स्पष्ट रूप से मांग की कि बिहार जैसे राज्य को इस तरह की प्रयोगशाला न बनाया जाए। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव निष्पक्ष, समावेशी और लोकतांत्रिक तरीके से हो न कि संदेह और नागरिकता की दोहरी जाँच के नाम पर लोगों को डराने की प्रक्रिया के जरिए। प्रेस विज्ञप्ति भाकपा माले युवा नेता कुंदन यादव के हवाले से जारी किया गया।

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