पहले अनुशासनहीनता पर सहरसा उत्पाद के 3 एएसआई पर हुई कार्रवाई, भेजा गया भागलपुर ग्रुप सेंटर, अब एक एएसआई को फिर से मिला सहरसा का ही प्रभार

– उठ रहे सवाल, क्यों हुआ तबादला और अब फिर क्यों हुआ उसी जगह पोस्टिंग
– लोगों का आरोप जमकर हुई है सेटिंग, पैसे के बल पर वापस मिली कुर्सी

सहरसा:-उत्पाद और मद्य निषेध विभाग अपने कारनामों से हमेशा चर्चा में रहा है। अब एक नया कारनामा फिर उत्पाद विभाग को चर्चा में ला दिया है। जिसमें बीते 7 महीने पूर्व अनुशासनहीनता के आरोप में सहरसा जिला उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के 3 एएसआई को पर कार्रवाई करते हुए उनका तबादला भागलपुर ग्रुप सेंटर कर दिया गया था। साथ ही उनके अनुशासनहीनता की जांच विभागीय स्तर पर की जा रही थी। लेकिन अचानक उन तीन एएसआई में से एक एएसआई का भागलपुर ग्रुप सेंटर से तबादला कर वापस सहरसा प्रतिनियुक्ति कर दी गई है। जिससे कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं। लोगों का आरोप है कि आखिर अनुशासनहीनता के आरोप में जिस अधिकारी पर कार्रवाई किए गए थे। उन तीनों एएसआई में से एक एएसआई को उसी जगह वापस प्रतिनियुक्ति करना। अपने आप में अचंभित करने का मामला दिख रहा है। चुंकि सहरसा जिले में किए गए अनुशासनहीनता को लेकर उन पर हो रही जांच पर क्या कार्रवाई हुई। यह भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में उनका तबादला किसी अन्य जिले में भी किया जा सकता था। लेकिन वापस सहरसा में ही प्रतिनियुक्ति किए जाने से लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।                  क्या है मामला:-बीते साल 2024 के 30 सितंबर को सहरसा मद्य निषेध एवं उत्पाद निबंधन विभाग द्वारा सहरसा में नियुक्त तीन एएसआई वौआ लाल राय, अरुण कुमार गौरव और धीरज कुमार सिंह को पत्रांक संख्या-संसं-भी/30-2-01/2022 संख्या – 4059 से अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवाई करते हुए ग्रुप सेंटर भागलपुर भेजा गया था। साथ ही उनके अनुशासनहीनता की जांच की जा रही थी। सभी तीनों एएसआई भागलपुर ग्रुप सेंटर में नियुक्त होकर कार्य कर रहे थे। तभी अचानक 27 जून को मद्य निषेध एवं उत्पाद निबंधन विभाग द्वारा कुल 512 पदाधिकारियों का तबादला किया गया। जिनमें अनुशासनहीनता को लेकर की गई कार्रवाई वाले वौआ लाल राय को क्रम संख्या 511 में स्थान पर अंकित करते हुए वापस सहरसा प्रतिनियुक्ति कर दिया गया है। ऐसे में उनके नियुक्ति को लेकर अब सवाल उठाना शुरू हो गया है। पैसे की हुई खेल:-लोगों का आरोप है कि अनुशासनहीनता के आरोप में कार्रवाई किए जाने के बाद उनका तबादला इस जिले में नहीं होना चाहिए था। जिस जिले में उनके ऊपर अनुशासनहीनता का गंभीर आरोप लगा था। ऐसे में वापस उसी जिले में प्रतिनियुक्ति सिर्फ पैसे के बल पर ही की गई है। जिसमें विभाग के अधिकारी संलिप्त हैं। जबकि अन्य दो एएसआई को सहरसा वापस नहीं बुलाया गया है। जिससे भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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