सात जिलों के 10 स्वास्थ्य केंद्र को मिला राज्य स्तरीय लक्ष्य प्रमाणन

पटना:-राज्य में लक्ष्य प्रमाणन स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में राज्य के सात जिलों के 10 स्वास्थ्य संस्थानों को राज्य स्तरीय ‘लक्ष्य सर्टिफिकेशन’ प्राप्त हुआ है। लक्ष्य प्रमाणन में सबसे ज्यादा अंक वैशाली के जिला अस्पताल को मिला है। लेबर रूम के लिए जिला अस्पताल वैशाली को 94 तथा मेटरनल ओटी के लिए 90 अंक मिले हैं। अभी तक राज्य में कुल 25 स्वास्थ्य संस्थानों को लक्ष्य सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है। इसमें 18 राज्य स्तरीय तथा 9 नेशनल स्तर से सर्टिफाइड है। मालूम हो कि लक्ष्य प्रमाणीकरण स्वास्थ्य विभाग के सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है। लक्ष्य सर्टिफिकेशन के संबंध में मातृ स्वास्थ्य की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ आकांक्षा सुमन ने बताया कि लक्ष्य कार्यक्रम से सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली हर गर्भवती महिला और नवजात को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम से लेबर रूम, ओटी और प्रसूति गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) और उच्च निर्भरता इकाइयों (एचडीयू) में गर्भवती महिलाओं की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा। राज्य के अंदर लक्ष्य सर्टिफिकेशन के अंदर मेडिकल कॉलेज,प्रथम रेफरल इकाई को भी जोड़ा गया है। इसके अलावा लक्ष्य प्रमाणीकरण संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी किए जाने के लिए एक्सटर्नल असेसर द्वारा आनसाइट मॉनिटरिंग भी किया जा रहा है। इसके अलावे भी हम नर्सिंग कॉलेज के प्रोफेसरों को एक असेसर के रूप में भी लाने की कोशिश कर रहे हैं।           इससे एक साथ ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य संस्थानों में कमियों को दूर कर ज्यादा लक्ष्य सर्टिफिकेट संस्थानों को बढ़ाया जा सकेगा। लक्ष्य सर्टिफिकेट के कारण प्रसव सेवा में एवं संतुष्टि का लाभ उठा चुकी सीतामढ़ी की नगमा अब्जा कहती हैं कि गर्भकाल के दौरान मेरी पहचान एक उच्च जोखिम वाली महिला के रूप में हुआ था। सदर अस्पताल में मेरा सिजेरियन हुआ। सारी व्यवस्था, कर्मियों का व्यवहार,सुविधाएं ऐसी थी कि लगा ही नहीं की यह कोई सरकारी अस्पताल है। जिला अस्पताल हाजीपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका (लक्ष्य प्रमाणित संस्थान) ने कहा कि लक्ष्य कार्यक्रम मातृ व नवजात देखभाल की गुणवत्ता सुधारने का एक सशक्त मॉडल है, जो कई अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन पद्धतियों से बेहतर सिद्ध हुआ है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह प्रसव के समय और उसके तुरंत बाद की सेवाओं को सुरक्षित, व्यवस्थित और गरिमामय बनाता है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत लेबर रूम व ऑपरेशन थियेटर का मानकीकरण, प्रसव के दौरान निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन, और महिलाओं को सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित की जाती है। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान को जब से लक्ष्य प्रमाणन मिला है,जटिलताओं का समय पर प्रबंधन और महिलाओं की संतुष्टि में स्पष्ट सुधार देखा गया है. अब आवश्यकता है कि जिला स्तर पर प्रबंधन को सशक्त किया जाए. स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानजनक प्रसव देखभाल व गुणवत्ता मानकों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और गुणवत्ता मापने के पैमाने का विस्तार किया जाए. इससे स्वास्थ्य कर्मियों की ज़िम्मेदारी, मरीजों के अधिकार व अस्पताल नेतृत्व की भूमिका का समुचित मूल्यांकन में आसानी होगी. यदि इन बिंदुओं पर ठोस कार्य हो, तो लक्ष्य कार्यक्रम स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.राष्ट्रीय गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ता डॉ. महताब सिंह ने बताया कि लक्ष्य कार्यक्रम की सफलता के पीछे चार प्रमुख स्तंभ हैं, जिन्हें अपनाना हर स्वास्थ्य संस्थान के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि पहली जरूरत है मजबूत नेतृत्व और हर स्तर पर समर्पित टीम, जो बदलाव को गंभीरता से लागू करे। दूसरी अस्पतालों में आधारभूत संरचना को सुधारना, मानव बल की संख्या को बढ़ाना और देखभाल की गुणवत्ता से जुड़ी खामियों को दूर करना. तीसरा स्तंभ है, अस्पतालों में नियमित प्रगति समीक्षा करना और डॉक्टरों व नर्सों को समय-समय पर व्यावहारिक प्रशिक्षण देना ताकि वे हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें. चौथा और सबसे जरूरी पहलू है कि अच्छे कार्य करने वाले अस्पतालों से अनुभव साझा करना और मिलकर काम करना। इससे बाकी संस्थानों को भी प्रेरणा मिलती है और स्वास्थ्य कर्मियों की झिझक भी दूर होती है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और गुजरात ने इन चारों पहलुओं पर ध्यान दिया गया है. जिससे वहां लक्ष्य कार्यक्रम के परिणाम काफी बेहतर हुए हैं।

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