गहन मतदाता पुनरीक्षण, चार श्रम कोड बिल के खिलाफ महागठबंधन सड़क पर उतरे, बाजार रहा बंद, जगह-जगह चक्का जाम

बिहार के गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और युवाओं को मतदाता सूची से नाम काटने की हो रही है साजिश:- महागठबंधन

मतदाता गहन पुनरीक्षन के बहाने बिहार के मत, मतदाता और मताधिकार पर हमला बंद हो

सहरसा:-ट्रेड यूनियन के अखिल भारतीय आम हड़ताल के समर्थन में बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ इंडिया-महागठबंधन के आह्वान पर बिहार बंद में हजारों महागठबंधन के कार्यकर्त्ताओं सड़क पर उतरे और गहन मतदाता पुनरीक्षण के पूरी प्रक्रिया को तत्काल वापस लेने की मांग की। सुबह से महागठबंधन के घटक दलों राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी के कार्यकर्त्ताओं जगह-जगह चक्का जाम कर नारेबाजी करते रहे। दर्जनों बाइक सवार और पैदल कार्यकर्त्ता हाथों में झंडा बैनर लिए सड़क पर मार्च करते रहे।          शंकर चौक पर महागठबंधन के नेतागण बिहार बंद के समर्थन में एकजुट होकर चारो तरफ सड़क मार्ग का चक्का जाम कर बैठे रहे और नारेबाजी करते रहे। बंद का नेतृत्व मुख्य रूप से सीपीआई राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण, राजद जिलाध्यक्ष मो. ताहिर, युवा राजद के प्रदेश महासचिव सह नगर निगम के उप महापौर उमर हयात गुड्डू, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मुकेश झा, उत्तर बिहार मुसहर सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष सह कांग्रेस नेता प्रेमलाल सादा, भाकपा माले जिला सचिव ललन यादव, सीपीएम जिला सचिव रंधीर यादव, सीपीआई जिला सचिव परमानंद ठाकुर, राजद प्रदेश महासचिव धनिकलाल मुखिया, जिप उपाध्यक्ष सह राजद प्रदेश महासचिव धीरेन्द्र यादव, माले के जिला सचिव ललन यादव, वीआईपी के जिलाध्यक्ष गोपाल बिंद, राष्ट्रीय लोजपा के जिलाध्यक्ष आशुतोष झा कर रहे थे।          मौके पर सीपीआई राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण ने कहा कि जिस राज्य में जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ 2.8 प्रतिशत लोगों के पास हो, वहां करोड़ों मतदाताओं से पासपोर्ट, जमीन के कागज, एनआरसी जैसी दुर्लभ और अपवर्गीय दस्तावेज मांगना एक तरह की वोटबंदी है पूरा अभियान मतदाता सूची के सामान्य सुधार की आड़ में नागरिकता साबित करने की नई व्यवस्था थोपने जैसा है जिसकी न तो कोई संवैधानिक वैधता है न ही लोकतांत्रिक आधार।           यह लोकतंत्र को कमजोर करने और संविधान के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की भावना को कुचलने की कोशिश है। राजद जिलाध्यक्ष मो. ताहिर ने कहा कि जब आधार, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज सरकारी योजनाओं और पहचान के लिए मान्य है तो उन्हें मतदाता प्रमाण के तौर पर क्यों खारिज किया जा रहा है भाजपा पिछले वर्ष जो लोकसभा का चुनाव से जीत दर्ज कर मोदी सरकार चल रही है जब ये अवैध नहीं तो बिहार की मतदाता अवैध कैसे हो गई।          भाकपा माले जिला सचिव ललन यादव ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष सघन मतदाता पुनरीक्षण की पूरी प्रक्रिया नए युवा वोटर, गरीब, दलित, मजदूर, प्रवासी और वंचित तबकों को मतदाता सूची से बाहर करने की गहरी साजिश है और इसका सीधा लाभ सत्ताधारी भाजपा-जदयू गठबंधन को पहुंचाना है चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर बिहार के मत, मतदाता और मतदान के अधिकार पर हमला कर रही है दरअसल यह नोटबंदी की तर्ज पर वोटबंदी है।         सीपीएम जिला सचिव रंधीर यादव ने कहा कि बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाता है जिनमें से करीब 2-3 करोड़ मतदाता मजदूरी करने दूसरे राज्य में गए है इन लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की गहरी साजिश है जिसे महागठबंधन-सीपीआईएम बर्दास्त नहीं करेगी। कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश झा ने कहा कि बिहार का मामला भर नहीं, बल्कि पूरे देश के मतदाताओं के भविष्य का सवाल है और अगर आज चुप रहे तो कल हर राज्य में गरीबों और वंचितों के वोट छीने जाएंगे।           राष्ट्रीय लोजपा के जिलाध्यक्ष आशुतोष झा ने कहा कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से गरीब पिछड़ों एवं दलितों को वोटर लिस्ट सें सत्यापन व पुनरीक्षण के नाम पर हटाना चाहती है। वही महागठबंधन को चुनाव में येन केन प्रकारेण सत्ता से दुर करना चाहती है। वीआईपी जिलाध्यक्ष गोपाल बिंद ने कहा कि हमारी संविधान की यही खूबसूरती थी कि देश का गरीब हो या अमीर सबको संविधान ने एक वोट का अधिकार दिया था इस वोट का अधिकार को छीनकर कर गरीबों के बढ़ते दावेदारी को कुचलना चाहती है।        महागठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग को मतदाता पुनरीक्षण की पूरी प्रक्रिया को तत्काल वापस लेना की मांग किया। बिहार बंद में पूर्व विधायक अरुण यादव, राजद नेता सरोज यादव, वीआईपी के प्रदेश नेत्री रेशमा शर्मा, माले के कुंदन यादव, विक्की राम, राजद के जिला सचिव इमाम आजम, जावेद अनवर चांद, मो. साहिल, नगर सचिव ई. कौशल यादव, रूपेश यादव, शाहनवाज आलम, सुरेंद्र यादव, भाकपा के जिला कार्यकारिणी सदस्य शंकर कुमार, प्रभुलाल दास, भूपेंद्र यादव, टुनटुन चौधरी, राजा भगत, मो. जाकिर, सुरेश साह, निरंजन राय, भाकपा माले नगर सचिव वकील कुमार यादव, बमभोली सादा, कारी यादव, बिजेंद्र यादव,         मुकेश कुमार, फूलो शर्मा, दशरथ राम आदि दर्जनों शामिल रहे. राजद प्रखंड अध्यक्ष मनोज कुमार यादव, युवाध्यक्ष रिंकू राय, नंदन कुमार, राजा यादव, राष्ट्रीय लोजपा के प्रदेश महासचिव सह सहरसा प्रभारी प्रदीप पासवान, दलित सेना जिलाध्यक्ष रामविनय पासवान, नवहट्टा प्रखंड अध्यक्ष रणधीर सिंह, सत्तरकटैया प्रखंड अध्यक्ष सुनील सिंह, रमेश सादा,       बीमा देवी, रेखा देवी, ललिता देवी, कांग्रेस के प्रवेक्षक राज बहादुर निषाद, मनोज गौतम, युवा कांग्रेस के सुदीप कुमार सुमन, मृणाल कामेश, नवाज अख्तर, एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार, प्रदेश प्रतिनिधि रामसागर पाण्डेय, सियाशरण सादा, मो. नईमउद्दीन, कुमार हीरा प्रभाकर सहित अन्य मौजूद थे।

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