कौशल से किसान समृद्धि” विषय पर जागरूकता कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत “कौशल से किसान समृद्धि” (किसानों की समृद्धि के लिए कौशल विकास) विषय पर शुक्रवार को एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।           इस कार्यक्रम में क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों, वैज्ञानिकों और गणमान्य अतिथियों की सहभागिता रही। इस अवसर पर डॉ. के. डी. कोकाटे, पूर्व उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं अनुसंधान परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जबकि अटारी पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। अनुसंधान परामर्शदात्री समिति के अन्य सदस्यगण डॉ. एस. डी. सिंह, पूर्व सहायक महानिदेशक (मात्स्यिकी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली; डॉ. के. एन. तिवारी, पूर्व प्रोफेसर, आईआईटी, खड़गपुर और डॉ. एस. कुमार, पूर्व प्रमुख, कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र, राँची भी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डॉ. अनिर्बान मुखर्जी ने निरंतर आय और कृषि स्थिरता के लिए सहभागी अनुसंधान अनुप्रयोग (प्रयास) की सफलता की गाथा पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें सहभागी शोध एवं कौशल आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम से जनजातीय एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाने की आगामी कार्य योजना भी इस अवसर पर साझा की गई।
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने किसानों से आह्वान किया कि वे कम से कम एक कौशल को गहराई से सीखें जिससे स्थायी आय के अवसर सृजित किए जा सकें। उन्होंने यह भी बताया कि कौशल आधारित शिक्षा ही ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता एवं समृद्धि का आधार है। मुख्य वक्तव्य में डॉ. के. डी. कोकाटे ने प्रत्येक गांव में ग्रामीण उद्यमिता के विकास की आवश्यकता पर बल दिया तथा किसानों को नवाचार एवं उद्यमिता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ग्रामीण आजीविका के रूपांतरण में निरंतर आय और कृषि स्थिरता के लिए सहभागी अनुसंधान अनुप्रयोग (प्रयास) की भूमिका की सराहना की और इसके विस्तार की आवश्यकता जताई। डॉ. अंजनी कुमार ने “प्रयास” जैसे सहयोगात्मक मंचों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ये मंच अनुसंधान, तकनीक एवं जमीनी विकास को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. एस. डी. सिंह ने पशु स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से गांव स्तर पर आयवृद्धि पर बल दिया; डॉ. के. एन. तिवारी ने कहा कि “यंत्रीकरण आधारित उद्यमिता की मांग भविष्य में और बढ़ेगी”; वहीं डॉ. एस. कुमार ने नर्सरी प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। बिहटा के प्रगतिशील किसान एवं उद्यमी राज कुमार सिंह ने अपने उद्यमिता अनुभव साझा करते हुए अन्य किसानों को नवाचार के लिए प्रेरित किया। अपराह्न में आयोजित व्यावहारिक सत्रों में किसानों को तीन समूहों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।          पौधशाला (डॉ. तन्मय कुमार कोले), पशु टीकाकरण (डॉ. राकेश कुमार) एवं कृषि यंत्र फेब्रिकेशन (डॉ. पी. के. सुंदरम), जिससे उन्हें प्रमुख कृषि कौशलों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ। विशेषज्ञों ने सबजपुरा फार्म में ‘जल के बहु-आयामी उपयोग’ इकाई तथा मुख्य परिसर के विभिन्न परीक्षण इकाइयों का अवलोकन किया। उन्होंने आईएआरआई पटना हब के छात्रों से भी संवाद किया तथा उनके उज्ज्वल भविष्य लिए प्रेरित किया । कार्यक्रम का समापन प्रतिभागी किसानों की प्रतिक्रिया एवं सुझाव सत्र के साथ हुआ। इस पहल के अंतर्गत अगले तीन वर्षों तक प्रत्येक वर्ष 500 किसानों एवं महिलाओं को प्रशिक्षण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

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