जीविका दीदी की जान लेने पर तुला है मॉडर्न सदर अस्पताल

बिजली के शॉर्ट सर्किट के बीच कार्य कर रही 3 जीविका की दीदी और एक पुरुष सहायक
पंखा है शार्ट सर्किट से बंद, नलका है खराब, कपड़ा आयरन की मशीन भी है जली, छत से बरसात में टपकता है फर्श पर पानी
कभी भी हो सकती है बिजली की दुर्घटना
सिविल सर्जन छुट्टी हैं पर, 26 दिनों से कार्य कर रही महिला

सहरसा:-महज 14-15 महीने पूर्व कई करोड़ की लागत से निर्मित मॉडर्न सदर अस्पताल जीविका दीदी की जान लेने पर तुला हुआ है। बीते 26 दिनों से जीविका दीदी जिंदगी और मौत के बीच नौकरी बचाने में लगी हुई है।           यह हाल, मॉडर्न सदर अस्पताल के लॉन्ड्री रूम का है। जहां बीते एक जुलाई से जीविका दीदी गौरी कुमारी सहित तीन महिला और उनको मदद देने के लिए एक पुरुष सहायक नियुक्त कर रखा है। क्या कहती हैं लॉन्ड्री रूम में कार्यरत माहिया कर्मी:-गौरी कुमारी ने बताया कि हम लोगों को जीविका की तरफ से यहां, काम मिला है। सदर अस्पताल में। और यहां, पर मशीन कम उपलब्ध है। मरीज के कपड़ा को धोना पड़ता है। वेड-चादर भी धोना पड़ता है। कई मशीन हैं खराब, छत से है पानी टपकता:-लेकिन कोई-कोई मशीन खराब है। जिससे परेशानी होती है।           यहां छत से पानी टपकता है। जिससे प्रॉब्लम होती है। नलका है खराब, तुरंत हो दुरुस्त:-उन्होंने कहा कि लॉन्ड्री रूम के अंदर में नलका भी खराब है। हो सकता है तो, एक-दो नलका को जल्दी सही(दुरुस्त) करवाया जाए। फर्श भींग जाता, बिजली का शॉर्ट लगने से परेशानी होती:-उन्होंने कहा कि छत से पानी टपकता है। निचा जमीन (फर्श पर) फटाफट की आवाज करता है। पानी पुरे फर्श पर बिखरा रहता है। पंखा शॉर्ट सर्किट लगने से बंद है:-उन्होंने आगे बताया कि छत पर लगा पंखा बंद है। पंखा में शॉर्ट लग रहा है। इसीलिए बंद है। भीषण गर्मी है। कैसे भी काम कर रहे हैं। 1 जुलाई से है नियुक्त:-उन्होंने आगे बताया कि बीते 1 तारीख से हम लोग काम करते हैं। तीन महिला, एक जेंट्स है।         150 चादर धोते है, मशीन ठीक हो तो 300 धो सकते है:-उन्होंने आगे बताया कि लगभग 150 चादर धोया जाता है। मशीन ठीक हो जाए तो 250-300 तक कपड़ा साफ होगा। बिजली का खतरा बना रहता है। सिविल सर्जन हैं छुट्टी पर:-जब उक्त बाबत सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई तो उनके छुट्टी पर होने की जानकारी मिली।           अब, जब-तक कोई दुर्घटना नहीं होती! तब-तक लॉन्ड्री रूम की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी या जब तक सिविल सर्जन हेड क्वार्टर नहीं पहुंचते। तब-तक, जीविका दीदी की जान अटकी रहेगी। देखना होगा, दोनों में से क्या पहले होता है!

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