कोई भी भाषा उर्दू के बिना अधूरी है:-उप विकास आयुक्त

सहरसा:-मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, उर्दू निदेशालय, बिहार, पटना के निदेशानुसार ज़िला स्तरीय फ़रोग़-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा एवं कार्यशाला का आयोजन ज़िला प्रशासन (जिला उर्दू भाषा कोषांग) सहरसा की ओर से प्रेक्षागृह में किया गया।           कार्यक्रम का उद्घाटन संजय कुमार निराला, उप विकास आयुक्त, प्रभात कुमार झा, नगर आयुक्त नगर निगम, निशांत अपर समाहर्ता, मुराद अली प्रभारी पदाधिकारी जिला उर्दू भाषा कोषांग-सह-वरीय कोषागार पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उप विकास आयुक्त ने उर्दू भाषा के महत्व और उपयोगिता को बताते हुए कहा कि कोई भी भाषा उर्दू के बिना अधूरी है। हम अपनी रोज़मर्रा की भाषा में लगभग 90 प्रतिशत उर्दू शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। उर्दू के प्रति सरकार भी गंभीर है और इसके लिए सरकार ने बड़ी संख्या में उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति की है। नगर निगम आयुक्त प्रभात कुमार झा ने उर्दू भाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि उर्दू हमारी ज़ुबान में उतनी ही घुली हुई है जितनी हिंदी घुली हुई है।           आगे उन्होंने कहा कि बिहार ऐसा प्रांत है, जिसने 1981 में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा का दर्जा दिया। हम अपनी रोज़मर्रा की भाषा में उर्दू के ही शब्द अधिक प्रयोग करते है। वहीं अपर समाहर्ता निशांत ने मेहमानों का धन्यवाद देते हुए कहा कि उर्दू भाषा एक प्रांत को दूसरे प्रांत से जोड़ने वाली भाषा है। हम लोगों को इसके संबंध में जितना जागरूक होना चाहिए उतना जागरूक नहीं हैं। शालिनी जागृति जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा) ने उर्दू भाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि मेरी इच्छा थी कि मैं इसे सीखूँ। इसके लिए मैंने प्रयास भी किया और कुछ हद तक सीख भी लिया, लेकिन पूरी तरह से सीख नहीं पाई। इससे पहले स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए प्रभारी पदाधिकारी जिला उर्दू भाषा कोषांग मुराद अली ने अपने मेहमानों और शायरों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा हमारे देश के लिए नई नहीं है और न ही हमारे देश के बाहर की भाषा है, बल्कि उर्दू भारत की प्राचीन भाषा है। उर्दू भाषा का जन्म इसी देश में हुआ और इसी देश में यह पली-बढ़ी है।          इसके अलावा कई मेहमानों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। उनमें मशहूर चिकित्सक डॉ. अबुल कलाम, मुफ्ती ज़िल्लुर्रहमान साहब, प्रोफेसर मोहम्मद ताहिर जिलाध्यक्ष राजद, डॉ. कौकब सुल्ताना, मुहीउद्दीन राईन जिला महासचिव जदयू, आज़म वारिसी जिला अध्यक्ष अंजुमन तरक्की उर्दू सहरसा और मुफ्ती जाफ़र इमाम के नाम उल्लेखनीय हैं। इस कार्यक्रम में देश के मशहूर और प्रसिद्ध शायरों ने शिरकत की। जनाब शंकर कैमोरी ने अपने खास अंदाज़-ए-बयां से श्रोताओं के दिलों को मोह लिया। इसके अलावा अन्य शायरों में अराधना प्रसाद, मोहम्मद ज़ाहिद वफ़ा, अनवर कमाल, तबरेज़ हाशमी, रुबीना अयाज़, मुरतज़ा नरियारवी, अक़मल बलरामपुरी, चोंच गयावी, अहमद सिद्दीकी और मोहम्मद साबिर के नाम उल्लेखनीय हैं।           फरोग-ए-उर्दू सेमिनार सत्र का संचालन मो. आफताब आलम, उर्दू अनुवादक, अनुमंडल कार्यालय, सदर सहरसा और मुशायरा कार्यक्रम का संचालन  शंकर कैमूरी ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मो. तजम्मुल हक, उर्दू अनुवादक, जिला उर्दू भाषा कोषांग, सहरसा और अन्य कर्मियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाचार लिखे जाने तक मुशायरा कार्यक्रम जारी है।

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