खसरा से बचाने के लिए शिशुओं को अनिवार्य रूप से कराएं टीकाकृत:-एसीएमओ

आरा:-जिले में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को जिले का अधिकतम तामपान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो प्रतिदिन बढ़ता जाएगा। वहीं, मौसम में हो रहे बदलाव को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति अलर्ट मोड पर है। खासकर बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए विभाग पूरी तत्पर है। बढ़ती गर्मी और संक्रमण के कारण इस मौसम में बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। जिसको लेकर जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर पर तक बच्चों को दिए जाने वाले टीकों का अनुश्रवण नियमित रूप से किया जा रहा है। अमूमन गर्मी के मौसम में तापमान के साथ ही बच्चों में खसरा (मीजल्स) का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। आमतौर पर गर्मी के मौसम में बच्चों को शिकार बनाने वाला खसरा एक प्रकार का वायरल संक्रमण है। नवजात शिशु से लेकर पांच वर्ष तक के शिशु इस इन्फेक्शन के ज्यादा शिकार होते हैं। इसलिए बच्चों को खसरा से बचाने के लिए जिला प्रतिरक्षण कार्यालय बच्चों को टीकाकृत कराने पर जोर दे रहा है। एक प्रकार का ड्रॉपलेट इंफेक्शन है खसरा:-अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि खसरा बच्चों में होने वाली संक्रामक बीमारी है।          खसरा एक प्रकार का ड्रॉपलेट इंफेक्शन है जो नाक, गले, या फेफड़ों से निकलने वाले एयरबोर्न ड्रॉपलेट के जरिए चार से छह फुट के क्षेत्र में फैलता है, इसलिए इसके मामलों में आइसोलेशन की जरूरत होती है। एक बार इसके होने की पुष्टि हो जाने के बाद मरीज को परिवार के दूसरे सदस्यों से अलग रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि खसरे से संक्रमित बच्चे को पहले तेज बुखार आता है। साथ ही उसके हाथ, पैर और पेट आदि स्थानों पर लाल रंग के दाने उभर आते हैं। बच्चे को जरूरत से ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। यदि समय पर संक्रमित बच्चों का इलाज नहीं किया गया तो उसे निमोनिया हो सकता है जिससे उसकी जान भी जा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों के शरीर पर लाल रंग के दाने या फोड़े फुंसी जैसे लक्षण दिखाई दे तो उसे नजरंदान न करें। क्योंकि की यह खसरा का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में संपर्क करें। खसरा को लेकर आज भी लोगों के बीच फैली है भ्रांतियां:-यूनिसेफ के एसएमसी जीपी संजय ने बताया कि ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में आज भी लोगों में खसरा को लेकर भ्रांतियां फैली है। अधिकांश लोग अंधविश्वास में आकर दकियानूसी बातें करते हैं। लोग इसे देवी माता का प्रकोप मानते हुए बच्चे को दवा दिलाने से डरते हैं। जबकि ऐसा करके वह अपने बच्चे की जान खतरे में डालते हैं। सैकड़ों बच्चे इसी अंधविश्वास की वजह से दम तोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण के तहत पंचायतों में खसरा से बचाव को लेकर शिशुओं को टीकाकृत किया जाता है। पांच साल तक के उम्र से पहले बच्चे को एमआर के दो टीके लगाए जाते हैं। पहला टीका बच्चे के नौ से 12 वें महीने के बीच लगाया जाता है। वहीं, इसकी दूसरी खुराक 16 से 24 महीने के बीच दी जाती है। दोनों टीका देने पर बच्चा पूरी तरह से प्रतिरक्षित हो जाता है। साथ ही, नियमित टीकाकरण की निगरानी के दौरान बच्चों को दिए जाने वाले कार्ड की जांच भी की जा रही। जिससे कोई भी बच्चा इन टीकों से वंचित न रहे।

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