असम के जनजातीय किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में पहल 

कृषि अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा समेकित कृषि प्रणाली विषय पर 5-दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ

पटना:-सतत एवं समावेशी कृषि विकास को प्रोत्साहित करने की एक महत्त्वपूर्ण पहल के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में कृषि विज्ञान केंद्र, दीमा हसाओ, असम के सहयोग से जनजातीय उपयोजना (टीएसपी) द्वारा प्रायोजित “कौशल से किसान समृद्धि कार्यक्रम” के तहत “समेकित कृषि प्रणाली के माध्यम से उत्पादन प्रौद्योगिकी का उन्नयन” विषय पर पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।           इस प्रशिक्षण में कुल 16 जनजातीय किसान भाग ले रहे हैं, जिनमें 4 महिला किसान भी सम्मिलित हैं। यह कार्यक्रम विशेष रूप से लघु एवं सीमान्त किसानों की उत्पादकता तथा आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें समेकित कृषि प्रणाली को अपनाने पर बल दिया गया है, जो एक समग्र पद्धति है जिसमें फसल, पशुपालन, मत्स्यपालन और अन्य पूरक गतिविधियों को एकीकृत कर संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग, जोखिम में कमी तथा वर्षभर आय और पोषण सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाता है। महिला किसानों की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि यह मॉडल उन्हें गृह-आधारित विविध गतिविधियों के कुशल प्रबंधन में सक्षम बनाता है। इससे न केवल परिवार की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुदृढ़ होती है, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता के नए अवसर भी सृजित होते हैं तथा कृषि क्षेत्र में उनके निर्णयकारी योगदान को भी बढ़ावा मिलता है।          कार्यक्रम के शुभारंभ पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. अशुतोष उपाध्याय ने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली लघु एवं सीमान्त किसानों की आजीविका सुधारने, जोखिम घटाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में प्रभावी साधन है। डॉ. कमल शर्मा, पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्रमुख, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसमें कक्षा-आधारित शिक्षण के साथ प्रक्षेत्र भ्रमण भी शामिल है, जिससे किसानों को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा। डॉ. संजीव कुमार, पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्रमुख, फसल अनुसंधान प्रभाग ने 1 एवं 2 एकड़ भूमि के लिए तैयार व्यापक आईएफएस मॉडल की जानकारी दी और बताया कि इन मॉडलों में फसल, पशुपालन, मत्स्यपालन व अन्य गतिविधियों का समावेश कर किसानों की आय एवं पोषण सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।          कार्यक्रम का समन्वय वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किया जा रहा है जिसमें डॉ. शिवानी, डॉ. पी.सी. चन्द्रन, डॉ. बिश्वजीत देबनाथ, डॉ. रोहन कुमार रमण एवं डॉ. तारकेश्वर कुमार शामिल हैं। तकनीकी सहयोग श्री अनिल कुमार, अमरेन्द्र कुमार, उमेश कुमार मिश्र, विजय बाबू राम एवं अन्य कार्मिकों द्वारा प्रदान किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों विशेषकर महिलाओं को ऐसा ज्ञान एवं कौशल प्रदान करना है, जिससे वे असम की कृषि-परिस्थितिकी के अनुरूप जलवायु-सहिष्णु एवं लाभकारी कृषि प्रणाली विकसित कर सकें।

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