तीन डीएसपी नहीं कर सके चोरी की घटना का उद्भेदन

– बड़ी चोरी के पीड़ित का डीजीपी तक शिकायत पहुंचाना पड़ा भारी
– सहरसा जिला पुलिस टीम ने घटना का नहीं कर पाया उद्भेदन
– डीजीपी ने एसपी को दिए थे 15 दिन मोहलत
– मियाद खत्म

सहरसा:-जिला पुलिस की नाकामयाबी की शिकायत डीजीपी तक पहुंचाना सदर थाना क्षेत्र के न्यू कॉलोनी निवासी और बड़ी चोरी की घटना के पीड़ित चंचल सिंह को काफी महंगा पड़ गया है। उनके घर में बीते 10 जुलाई को हुई 10 लाख नकद और 8 लाख के जेवरात की चोरी की घटना का उद्भेदन करने में अब सहरसा जिला पुलिस टीम कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। वही डीजीपी के आदेश पर गठित जिले के तीन-तीन डीएसपी से सुसज्जित एसआईटी टीम सुराग नहीं मिलने की हल्की बातें बताकर घटना से पल्लू झाड़ रहे हैं। जिसके कारण पीड़ित के संपत्ति का वापस आना लगभग अब असंभव सा हो गया है। जिसको लेकर पीड़ित और उसका पूरा परिवार सदमें में है। वे कभी डीजीपी तो कभी सहरसा पुलिस टीम की ओर आशा से टकटकी लगाए बैठे है। जबकि चोर और उनके संरक्षक की पौ बारह है। पीड़ित चंचल सिंह ने बताया कि बीते 10 जुलाई को उनके घर में चोरी की बड़ी घटना घटी थी। उस दौरान वे पत्नी का इलाज कराने पटना गए हुए थे। उनके घर के लॉकर में 10 लाख नकद और पत्नी के लगभग 8 लाख कीमत के जेवरात थे। जिसकी चोरी हुई थी। उन्होंने आगे बताया कि चोरी की घटना के बाद उनकी सूचना पर सदर थाना की टीम पहुंची थी। एसआई खुशबू कुमारी को घटना का अनुसंधानकर्त्ता बनाया गया था।लेकिन वे घटना के बाद से ही लापरवाह बनी रही। उनके द्वारा संभावित चोर की कोई तलाश नहीं की गई। आसपास के लोगों की गतिविधि पर भी पुलिस की नजर नहीं रखी गई थी। वे न ही चोरी की घटना के उद्भेदन के लिए कोई दिलचस्पी दिखा रही थी।          ऐसे में थक कर पीड़ित डीएसपी, एसपी और डीआईजी तक बार-बार शिकायत दिया था। लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि ऐसे में वे तंग होकर डीजीपी तक शिकायत लेकर पहुंचे थे। डीजीपी ने एसपी को 15 दिन की मोहलत देकर घटना के उद्भेदन का आदेश दिया था। लेकिन जब वे डीजीपी से मिलकर वापस सहरसा पहुंचे तो, जिला पुलिस टीम का रुतबा ही बदला हुआ था। कोई पुलिस अधिकारी उनसे सीधे मुंह बात नहीं कर रहे थे। न ही उनकी पीड़ा को कोई समझने का प्रयास कर रहे थे। बार-बार उन्हें और उनके परिवार से ही पूछताछ की जा रही थी। उन्होंने आगे बताया कि नाम न बताने की शर्त पर पुलिस के ही एक अधिकारी ने स्पष्ट कहा था कि जिला पुलिस टीम की शिकायत डीजीपी तक पहुंचाया था। अब तुम्हारे घर में हुए चोरी की घटना का उद्भेदन नहीं हो पाएगा। अब उद्भेदन नहीं करेगी। उक्त घटना के नए अनुसंधानकर्त्ता जितेंद्र कुमार ठाकुर को बनाया गया। उनकी माने तो चोरी की घटना में अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। उक्त बातें बताकर उन्होंने फोन को काट दिया था।हालांकि वर्तमान अनुसंधानकर्त्ता घटना के उद्भेदन को लेकर निजी तौर पर काफी सजग और सतर्क है। बीते दिनों उन्होंने पूछताछ के लिए शक के आधार पर एक युवक को भी हिरासत में लिया था। जिस दौरान संभावित चोर युवक से उनकी उठा पटक भी होने की बातें सामने आई थी। हालांकि लोगों के सहयोग से वे संभावित युवक को हिरासत में लिया था। लेकिन अचानक पुलिस के किसी बड़े अधिकारी के आदेश पर उन्हें देर शाम ही हिरासत में लिए गए युवक को छोड़ देना पड़ा। जिससे उन्होंने सही से पूछताछ भी नहीं कर सके थे। अब उसके बाद अन्य कोई भी सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा हैं। बता दें कि घटना में पूर्व के अनुसंधानकर्ता और एसआई खुशबू कुमारी पर एसपी हिमांशु की पूरी अनुकंपा बरसी थी। उन्हें सदर थाना से हटाकर बनमा इटहरी का थाना अध्यक्ष बना दिया गया था। जिन्होंने उक्त बड़ी घटना की उद्भेदन में जमकर लापरवाही बरती थी। जांच के नाम पर काफी समय को बर्बाद किया था। मतलब जब चोरी का हर सुराग खत्म हो गया। तब वे कांड से मुक्त हो गई थी। अब नए अनुसंधानकर्त्ता के लिए घटना का सफल उद्भेदन करना पहाड़ पर चढ़ने के समान हो गया है। जिससे वे भी अब तंग और चिड़चिड़े हो रहे हैं।

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