“समेकित कृषि प्रणाली : समय की मांग” विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

सहरसा:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में मंगलवार को “समेकित कृषि प्रणाली : समय की मांग” विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। बिहार कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना द्वारा प्रायोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के 15 सहायक तकनीकी प्रबंधक एवं 5 प्रगतिशील किसान ने भाग ले रहे हैं।          प्रतिभागियों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं जैसे वर्षा की कमी, छोटी जोत, संसाधनों की कमी, कम उपज, दियारा क्षेत्र की जमीन इत्यादि से संस्थान के वैज्ञानिकों को अवगत कराया और प्रशिक्षण से जुड़ी अपनी अपेक्षाओं पर भी प्रकाश डाला। संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए अपने संबोधन में कहा कि खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, आय संवर्धन, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य एवं पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिए समेकित कृषि प्रणाली आज के समय की मांग है। डॉ. दास ने कहा कि लाभोन्मुखी समेकित कृषि प्रणाली मॉडल में बागवानी एवं पशुधन जैसे घटकों का होना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसके अलावा किसानों को ऐसे किसी एक घटक का चयन करना चाहिए, जिससे आय में गुणात्मक वृद्धि अर्जित की जा सके, जैसे कि बीज एवं पौध उत्पादन, कृषि प्रसंस्करण गतिविधियाँ इत्यादि।          उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि किसानों को वर्तमान आय से संतुष्ट न रहकर, आय में निरंतर वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु योजनाबद्ध एवं समर्पित प्रयास करने चाहिए। इससे पूर्व, कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने किसानों को समेकित कृषि प्रणाली की महत्ता बताते हुए इस प्रशिक्षण की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. संजीव कुमार, पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्रभागाध्यक्ष, फसल अनुसंधान ने बताया कि किसान किस प्रकार समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर कम जमीन से अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं। डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रभागाध्यक्ष, भूमि एवं जल प्रबंधन ने कहा कि बदलते जलवायु परिदृश्य में भूमि एवं जल संसाधनों का दक्षतापूर्वक उपयोग अनिवार्य है, जिसमें समेकित कृषि प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन ने समेकित कृषि प्रणाली के अंतर्गत कृषि अपशिष्टों के पुनर्चक्रण द्वारा कृषि लागत में कमी पर ज़ोर दिया। डॉ. पी. सी. चंद्रण, पाठ्यक्रम समन्वयक एवं प्रधान वैज्ञानिक ने समेकित कृषि प्रणाली के विभिन्न घटकों के एकीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला।          विदित हो कि इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन दिनांक 12 दिसंबर 2025 को होगा। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को समेकित कृषि प्रणाली के विभिन्न पहलुओं जैसे मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, पशुधन प्रबंधन, मशरूम उत्पादन, चारा उत्पादन, मत्स्य प्रबंधन, मुर्गी एवं बत्तख पालन, तालाब एवं सिंचाई प्रबंधन, केंचुआ खाद, अपशिष्ट पुनर्चक्रण, फसल विविधीकरण तथा पोषक वाटिका के बारे में व्यवहारिक ज्ञान एवं तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अभिषेक कुमार, पाठ्यक्रम समन्वयक एवं वैज्ञानिक ने सभी प्रतिभागियों एवं वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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