सर्वजन दवा सेवन अभियान को मिला इमारत-ए-शरिया का साथ, इमाम व मदरसों से की अपील

पटना:- राज्य के 24 जिलों में 10 फरवरी से शुरु हो रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान में अब इमारत-ए-शरिया भी शामिल हो चुका है। इमारत-ए-शरिया के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस निसार अहमद ने वीडियो अपील करते हुए एमडीए/आइडीए अभियान में शामिल जिलों में मस्जिद के इमाम और मदरसों के इस अभियान से जुड़ने की अपील की है। डॉ. अहमद ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। समान्य भाषा में इसे हाथीपांव भी कहते हैं। सर्वजन दवा सेवन अभियान को इंसानियत का हिमायती बताते हुए डॉ. अहमद ने कहा कि मस्जिद में आने वाले नमाजियों और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इस अभियान के बारे में बताएं और समाज में इस दवा को खाने की अपील करें। वहीं इस अभियान के दौरान दी जाने वाली दवाओं के बारे में उपजे वहम से दूर रहने रहने को कहा। ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के सामने खानी होगी दवा:-सर्वजन दवा अभियान में स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था पिरामल स्वास्थ्य के टीम लीड, एनटीडी, बिकास सिन्हा ने बताया कि 10 फरवरी से राज्य के 24 जिलों में शुरु होने वाले अभियान में ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर आशा दीदी या अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाएगें।           लोगों को यह दवा उनके सामने ही खानी होगी। बिहार के जिन चौबीस जिले में 10 फरवरी से फाइलेरिया रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान चलेगा, उनके नाम हैं:- 24 जिले यानी सारण, गोपालगंज, सिवान, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, बेतिया, शिवहर, मोतिहारी, मुंगेर, बेगूसराय, शेखपुरा, जमुई, खगड़िया, कैमूर, कटिहार, सुपौल, सहरसा, गया, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, वैशाली,बांका एवं भागलपुर जिले शामिल हैं. जिसमें 10 जिले यानी औरंगाबाद, अरवल, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सारण, शिवहर, शेखपुरा, वैशाली, गया एवं जमुई में 3 तरह की दवाई खिलाई जाएगी. जिसमे डीईसी अलबेंडाज़ोल के साथ-साथ आइवरमेकटिन की दवा दी जाएगी। स्वस्थ व्यक्ति को भी खानी है दवा:-पीरामल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, एनटीडी, बासब रूज ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित मच्छर से होने वाली बीमारी है। इसके लक्षण उभरने में सामान्य तौर पर 10 से 15 साल लग जाते हैं। इससे बचने का एकमात्र उपाय साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान दवाओं का सेवन है। इस दवा का सेवन स्वस्थ व्यक्तियों को भी करना है, ताकि उनके अंदर मौजूद माइक्रोफाइलेरिया या तो मर जाए या वयस्कों का प्रजनन दर बहुत ही कम हो जाए। बासब रूज ने बताया कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिला और गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को नहीं खानी है।

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