भारतीय गणतंत्र और संविधान को लंबे संघर्ष के बाद किया गया हासिल 

पटना:- अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन (AIPSO) पटना के द्वारा गणतंत्र दिवस आयोजन के अंतर्गत, मैत्री शांति भवन, पटना में एक बातचीत का आयोजन किया गया। जिसका विषय था “कितना सुरक्षित है भारतीय गणतंत्र और सविंधान” इस पर विस्तृत चर्चा की गई। इस मौके पर पटना शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता इकट्ठा हुए।  शुरुआती संबोधन में कार्यक्रम की रूपरेखा और विषय प्रवेश जयप्रकाश ने करते हुए कहा ” लंबे संघर्षों के पश्चात हासिल किए गणतंत्र और संविधान पर आज चौतरफा खतरा उपस्थित हो गया है। धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद आदि को कमजोर कर दिया गया है। ” बातचीत में प्रथम वक्ता के रूप में सर्वोदय शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा ” 26 जनवरी हमारे लिए इसलिये ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इस दिन हमारे गणतंत्र की स्थापना हुई। आज भारत मे इस पर लगातार खतरा महसूस हो रहा है क्योंकि साम्राज्यवाद और सम्प्रदायवाद की चुनौतियां दक्षिणपंथी विचार धारा के लोगों के द्वारा देश में खतरा मंडरा रहा है। 2024 चुनाव के बाद एक बड़ा जनविद्रोह होने की गुंजाइश दिख रही है। इंद्रा गांधी के इमरजेंसी का सर्वोदय शर्मा ने कहा कि कैसे देश ने इस संकट को झेला और उसके खिलाफ एकजुट होकर इंद्रा गांधी को हराया। लेकिन आज की परिस्थिति उससे भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार की पुनः वापसी होती है तो देश में बहुत भयावह परिस्थिति आनेवाली है। इसलिए इस गणतंत्र की रक्षा के लिए बहुत ही मजबूती के साथ खड़ा होना पड़ेगा तभी सविंधान के मूल्यों को बचाया जा सकता है।” शिक्षाविद कुमार सर्वेश ने कहा ” यह बहुत ही मंथन का विषय है। गणतंत्र की सुरक्षा ही संविधान की सुरक्षा है। सवैंधानिक मूल्यों की रक्षा करना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है। समाज मे जो अच्छे लोग हैं वो बिखरे हुए हैं और जो बुरे लोग हैं वो इस भीड़ का गलत इस्तेमाल कर रहा है इसलिए इनके खिलाफ एकजुट होकर इस गणतंत्र के मूल्यों को बचाया जाना जरूरी है।”प्राथमिक शिक्षक संघ के नेता भोला पासवान के अनुसार” आजादी के बाद भी दो धारा के लोग थे एक धारा कहता है कि हम आजाद हो गये लेकिन दूसरा धारा कहता है कि हमे अभी सम्पूर्ण आज़ादी नहीं मिली है।            कांग्रेस के सरकार में भी शामिल होकर कम्युनिस्ट पार्टियों ने ही बहुत अच्छे अच्छे कार्य किये। लेकिन आज जो सरकार केन्द्र में है उससे लड़ना एक कड़ी चुनौती है। अपने सविंधान की रक्षा के लिए सड़क पर आना होगा।” ट्रेड यूनियन व पत्रकारिता से जुड़े राजीव कुमार ने बातचीत को संबोधित करते हुए कहा” संवैधानिक मूल्यों को समझना आज के युवा पीढ़ियों को समझने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि आज का युवाओं को किस तरह धार्मिक भावनाओं में बहाकर गुमराह किया जा रहा है। आज जिस धारा की वजह से हमारे गणतंत्र पर हमला हो रहा है उससे लड़ने के लिए लगातार बातचीत एवं आंदोलन की जरूरत है और समाज मे यह बताने का सफल प्रयास किया जाना चाहिए कि गणतंत्र के क्या मायने है हमारे लोकतंत्र में।” पटना साइंस कॉलेज जन्तुविज्ञान के प्रोफेसर अखिलेश कुमार ने कहा” गणतंत्र की रक्षा के लिए सत्ता में शामिल या सत्ता से बाहर दोनों पार्टियों की धारा को समझने की जरूरत है कि इसमें कौन है जो गणतांत्रिक मूल्यों को लेकर काम कर रहा है।”पटना विश्विद्यालय में लोक प्रशासन के प्रोफेसर सुधीर कुमार कहा” अभी जो सत्ता में सरकार है वो अपनी वैचारिक आधार को मजबूत करने के लिए सविंधान को खत्म करने का लगातार प्रयास कर रहा है जिससे गणतंत्र पर बहुत खतरा मंडराने लगा है। संशाधन जो आम लोगों के लिए होना चाहिए उसका अधिकतर भाग कुछ चंद लोगों के हाथ मे दिया जा चुका यह भी सवैंधानिक मूल्यों पर बहुत बड़ा खतरा बन गया है।” माकपा नेता अरुण मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा” गणतंत्र पर खतरे हैं अब तो साम्प्रदायिक ताकतें उससे पोषित शासक वर्ग जो है पूंजी का गुलाम है।”जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव विनिताभ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा” भारतीय सविंधान जो 26 जनवरी को लागू किया गया जिसको समझना आज के पीढ़ी को बहुत जरूरत है।” साहित्यकार अरुण शादवल ने कहा “आज का गणतंत्र वो गणतंत्र है भी नहीं क्योंकि सविंधान में बार बार संशोधन करते हुए वो अपनी विचारधारा को थोपने का प्रयास कर रहा है और सफल भी है लेकिन आगे अगर इनको चुनौती नहीं दिया गया तो ये साम्प्रदायिक शक्तियां सुनामी लेकर आएगा इसलिए सविंधान को बचाना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है।” अध्यक्षीय संबोधन ऐप्सो के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडली सदस्य रामबाबू कुमार ने ” हमारे सविंधान और गणतंत्र पर जो हमले हो रहे हैं क्योकि आजादी के आंदोलन में जो जन-आकाक्षाएं पैदा हुई उसी से हमारा सविंधान बना आज उसी सविंधान पर सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है।            गाँधी की हत्या एक फैनेटिक हिन्दू ने किया आज वही धार्मिक भावनाओं को भड़काकर राज कर रहा है इनसे ही गणतंत्र को खतरा है।” इस कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन कुलभूषण गोपाल ने किया। सभा में अनीश अंकुर, गोपाल शर्मा, अभिषेक, प्रशांत कुमार सुमन, उदयन राय, कपिलदेव वर्मा, गौतम गुलाल, डॉ अंकित, बिट्टू भारद्वाज, देवरतन प्रसाद, भोला शर्मा, रौशन कुमार, समीर मौजूद थे।

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