एनटीडी रोगों से संक्रमित होने से आजीविका कमाने में भी अक्षम हो जाते हैं:- डॉ. शैलेंद्र

बक्सर -कालाजार और फाइलेरिया जैसी परजीवी रोगों समेत करीब 20 नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) रोग मौजूद हैं। 30 जनवरी को विश्व एनटीडी दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। एनटीडी दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि पूरी दुनिया के लोग एनटीडी के उन्मूलन के प्रति जागरूक हों व पूरी प्रतिबद्धता से इसे समाप्त करने की दिशा में कार्य करें। दुनिया में सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में कष्ट लाने वाली इन बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में यह दिन मनाया जाता है। साथ ही इन  उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को भी यह दिन उजागर करता है। इनमें अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। विश्व स्वाथ्स्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है। विश्व में इन 11 बीमारियों का भारी बोझ भारत पर भी है। इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं।           जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है एनटीडी:-अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि एनटीडी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है। जो अधिकतर सबसे गरीब, कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) विसेरल लीशमैनियासिस (कालाजार), लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकनगुनिया जैसे रोग शामिल होते हैं। इनकी रोकथाम संभव है। इसके बाद भी हर साल बहुत सारे लोग इन रोगों से प्रभावित हो जाते हैं। देश में भी हर साल हजारों लोग एनटीडी रोगों से संक्रमित हो जाने के कारण जीवन भर असहनीय पीड़ा सहते हैं और दिव्यांग भी हो जाते हैं, जिसके कारण वह अपनी आजीविका कमाने में भी अक्षम हो जाते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है। एनटीडी की सूची में रोगों की जानकारी एवं जागरूकता होना बहुत जरूरी:-सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि यह गंभीर रोग हैं जो हर जगह, हर किसी की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनके उन्मूलन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने से आर्थिक विकास, समृद्धि एवं लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा। फाइलेरिया एवं कालाजार सहित एनटीडी की सूची में शामिल सभी 20 रोगों की जानकारी एवं जागरूकता होना बहुत जरूरी है। इसमें कई ऐसे रोग शामिल हैं जिसमें जान तो नहीं जाती, लेकिन परेशानी अधिक होती है। उन्होंने बताया कि अंतर विभागीय समन्वय बनाकर और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की दूरदराज इलाकों तक पहुंच सुनिश्चित कर जिले को एनटीडी से पूर्ण रूप से मुक्त करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। एनटीडी रोगों को नेग्लेक्टेड यानी उपेक्षित समझा जाता है मगर अब इन पर स्पॉटलाइट लाने का समय है ताकि इन मुद्दों पर और अधिक ध्यान दिया जाए।

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