असुरक्षित गर्भसमापन से जान का जोखिम

सासाराम:- असुरक्षित गर्भसमापन कई मायनों में खतरनाक होता है। इसमें महिला की मृत्यु का भी जोखिम बना रहता है। इसका मुख्य कारण जानकारी का अभाव माना जा रहा है। कई कारणों से महिलाएं अपना गर्भसमापन करना चाहती है परंतु सही जानकारी के अभाव में असुरक्षित गर्भसमापन की वजह से गर्भवती महिलाओं अपनी जान खतरे में डालती हैं। ऐसे में सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर महिलाओं के साथ साथ उनके पति और घर की अन्य महिलाओं को जानकारी होना जरूरी है। इसको लेकर सरकार द्वारा अभियान चलाया जाता है जिसके तहत सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। जिसमे बताया जा रहा है की कब और कहां गर्भसमापन कराना सुरक्षित होगा।
सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर रखें इन बातों का ध्यान
ऐसा देखा गया है की अधिकांश महिलाएं घेरेलू उपायों की ओर रुख कर लेती है। हालांकि अधिकांश घरेलू उपचारों को गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सुरक्षित या प्रभावी नहीं माना जाता है। गर्भसमापन कराने वाली महिलाओं को सलाह दिया जाता है की 20 सप्ताह के भीतर कभी भी जरूरत के अनुसार गर्भ समापन करवा सकती है। 21 से 24 सप्ताह वाले गर्भ को विशेष प्रस्थितियों में समापन किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ सरकारी अथवा मान्यताप्राप्त निजी अस्पतालों के प्रशिक्षित डॉक्टर के द्वारा ही कराने की सलाह दी जाती है। इसके लिए भी सरकारी अस्पतालों में परिवार नियोजन से जुड़ी सलाहकारों से भी बेहतर जानकारी प्राप्त की जा सकती है।            कई शर्तों के साथ गर्भसमापन वैध:-आई पास “सांझा प्रयास” के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर सुधीर कुमार पांडेय ने बताया कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था, गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने को प्रक्रिया में अनेक महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में मे एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। उन्होंने बताया की अज्ञानता के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया एवम एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी के महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकती हैं।

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