आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : पासपोर्ट जब्त करने का दिया आदेश

डेस्क:-पूर्व डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी होने के बावजूद जेल से रिहा कर दिये गए पूर्व सांसद आनंद मोहन पर सुप्रीम कोर्ट की गाज गिरी है। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ जी. कृष्णैया की विधवा उमादेवी कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। नाराज कोर्ट ने आज केंद्र सरकार और राज्य सरकार को भी जमकर फटकार लगायी है। सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका दायर करने वाली उमादेवी कृष्णैया की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धांत लूथरा मौजूद थे वहीं आनंद मोहन की ओर से वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी बहस कर रहे थे। राज्य सरकार की ओर से वकील रंजीत कुमार उपस्थित हुए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि तत्काल प्रभाव से आऩंद मोहन का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाये।            सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आनंद मोहन को स्थानीय पुलिस के पास हर 15 दिन पर हाजिरी लगाने को कहा है। इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर भी गहरी नाराजगी जतायी। दरअसल याचिका दायर करने वाली उमादेवी कृष्णैया ने केंद्र सरकार को भी प्रतिवादी बनाया है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कोई जबाव नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए इस मामले में एक सप्ताह के भीतर जबाव देने को कहा है। कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह मामला लगातार टल रहा है। कभी राज्य सरकार समय मांगती है तो कभी केंद्र सरकार जबाव नहीं देती है। मामले को और अधिक टाला नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह अब इस मामले में आखिरी फैसला सुनायेगी। इसके लिए 27 फरवरी की तारीख मुकर्रर की जाती है। कोर्ट ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मामले को और आगे टाला नहीं जा सकता है। लिहाजा अगली तारीख पर फैसला सुना दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले 23 अप्रैल को बिहार सरकार ने जेल में बंद आनंद मोहन को रिहा कर दिया था। राज्य सरकार ने इससे पहले उम्र कैद की सजा काटने वाले कैदियों की रिहाई के लिए बने नियमों को बदल दिया था। पहले यह प्रावधान था कि लोकसेवकों यानि सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की हत्या के दोषी को जेल से रिहा नहीं किया जायेगा। लेकिन राज्य सरकार ने इस नियम को खत्म कर अच्छे आचरण का हवाला देकर आनंद मोहन को रिहा कर दिया था। ज्ञातव्य है कि आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्याकांड के दोषी थे। 1994 में जी. कृष्णैया की हत्या मुजफ्फरपुर में कर दी गयी थी जब वे पटना से गोपालगंज लौट रहे थे। 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को इस मामले में फांसी की सजा सुनायी थी जिसे बाद में उम्र कैद में बदल दिया गया था। 2023 में आनंद मोहन की रिहाई के बाद जी. कृष्णैया की पत्नी उमादेवी कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई। उमा देवी कृष्णैया के वकीलों ने कोर्ट में कई अहम तथ्य पेश किये हैं। उनका कहना है कि आऩंद मोहन की रिहाई बिल्कुल गैरकानूनी है। उन्हें अच्छे आचरण के आधार पर रिहा किया गया लेकिन जेल में बंद रहते हुए भी आनंद मोहन ने कई कांड को अंजाम दिया था। उन पर जेल में मारपीट करने से लेकर पुलिस वालों पर हमला करने जैसे कई केस दर्ज किये गये। सभी केस खुद सरकार ने दर्ज कराई थी। उसी सरकार ने आनंद मोहन को अच्छे आचरण का प्रमाण पत्र देकर रिहा कैसे कर दिया।

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