पदाधिकारियों की संकीर्ण मानसिकता से बीएनएमयू हो रही शर्मसार

मधेपुरा:-विश्वविद्यालय जैसी बड़ी संस्था अपने पदाधिकारियों की करतूतों और संकीर्ण मानसिकता के कारण सकारात्मक पहल के बजाय नकारात्मक कार्यशैली के लिए चर्चा में रहे यह किसी दुर्भाग्य से कम नहीं। भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की हालिया स्थिति कुछ ऐसी ही है पदाधिकारियों की कार्यशैली लगातार विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रही। उक्त बातें वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्षवर्धन सिंह राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही। पत्रकारों के साथ पास के लुकाछिपी और एंट्री बैन शर्मनाक और हास्यास्पद:-जारी प्रेस विज्ञप्ति में राठौर ने कहा कि बुधवार को संपन्न हुई सीनेट बैठक में पत्रकारों को शुरू में सीनेट बैठक से दूर रखने फिर पास देने और अंत में पास कैंसिल कर एंट्री नहीं देना मानों पास का लुकाछिपी साबित हुआ जो विश्वविद्यालय के अपरिपक्व और अनुभवहीन प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल गया।                    एआईवाईएफ जिला संयोजक श्री राठौर ने कहा कि जहा बीएनएमयू में शुरू से सीनेट बैठक में विभिन्न पेपर,चैनल से आने वाले पत्रकारों को तो बुलाया ही जाता था वहीं उनके ब्यूरो को भी आमंत्रण होता था और सदन में उनके लिए वही सम्मान प्राप्त होते थे जो सदस्यों को निर्धारित होता।लेकिन इस बार इसके विपरीत आमंत्रण की जगह एंट्री पर बैन दर्शा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मीडिया का सामना करने से बच रहा है शायद उसे अपनी कमियों पर से पर्दा उठने का डर है। सिंडिकेट में फजीहत और सदन के आश्वासन के बाद भी नहीं हट सका अतिक्रमण:-भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मुख्य द्वार के दोनों तरफ फैले अतिक्रमण को हटाने के बजाय आखिरी समय में आनन फानन में टेंट से घेरने पर राठौर ने तंज कसा है और कहा कि जिस विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के आगमन के बहाने साफ सफाई ,रंगाई पुताई होती रही है वहां यह तो दूर अतिक्रमण हटाने की भी पहल नहीं हुई वहीं उल्टे टेंट से घेर दिया गया गया ।अतिथियों के स्वागत में साफ सफाई की जगह टेंट से गंदगी और अतिक्रमण छिपाने की हरकत पदाधिकारियों की सुस्ती और लचर व्यवस्था की पोल खोल गई जबकि इसी अतिक्रमण को लेकर सिंडिकेट में सदस्यों ने कड़ी नाराजगी जताई थी और राज्यपाल के आगमन से पहले हटाने की मांग की थी तब कुलपति ने सदन को आश्वासन दिया था कि जिला प्रशासन के सहयोग से इसे हटा लिया जाएगा जिसका नहीं हटना कुलपति के वादे को खोखला साबित कर गया।
सीनेट में पहली दफा लगे तोरण द्वार में मर्यादाएं हुई तारतार:-सीनेट बैठक की अध्यक्षता करने आए कुलाधिपति सह राज्यपाल के स्वागत में विश्वविद्यालय के नए परिसर से आडिटोरियम तक बनें दर्जन से अधिक तोरणद्वार को वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने चापलूसी की प्रकाष्ठा बताया वहीं फोटो फोबिया के चक्कर में कहीं प्रोटोकॉल का भी ख्याल नहीं रखा गया जहां अधिकांश तोरण द्वार में कुलपति को कॉलेज प्रिंसिपल के समकक्ष दिखाया गया तो कहीं कुलाधिपति सह राज्यपाल के ही समकक्ष दिखा गया जिससे साफ था कि राज्यपाल और कुलपति की चापलूसी में प्रोटोकॉल का भी ख्याल नहीं रहा।उपलब्धियों से अधिक विवादों में अधिक रहे वार्षिक सीनेट बैठक के संबंध में एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय सिर्फ एक संस्था ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र की पहचान और धरोहर भी है इसे इस तरह मजाक का केंद्र बनाना दुखद है। मीडिया की एंट्री पर रोक, अतिक्रमण हटाने की जगह टेंट का उपयोग, चापलूसी में दर्जन भर तोरण द्वार को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।

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