जिले के सभी पंचायतों में मिशन परिवार विकास अभियान को गति देंगे जनप्रतिनिधि

बक्सर:-जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण के उद्देश्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई रणनीतियों पर काम कर रहा है। जिले में मिशन परिवार विकास (एमपीवी) अभियान को गति देने के लिए अब जनप्रतिनिधियों को भी इस इसमें शामिल किया जाएगा। ताकि वो अपने पंचायत स्तर लोगों को जागरूक कर परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों के साथ साथ स्थायी साधनों के प्रयोग में इजाफा कराया जा सके। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज (सी थ्री) के संयुक्त तत्वावधान में जनप्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण किया जा रहा है।          इस क्रम में उन्मुखीकरण के पहले दिन बक्सर व इटाढ़ी प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के सरपंचों को प्रशिक्षित किया गया। मिशन परिवार विकास (एमपीवी) अभियान से समुदायों के साथ जुड़ने के लिए ढांचा प्रदान करता है। उन्मुखीकरण के माध्यम से पंचायती राज प्रतिनिधि एमपीवी के लिए आउटरीच गतिविधियों का समर्थन करने में सक्षम होंगे। ताकि युवाओं, नवविवाहित जोड़ों और एक बच्चे वाले जोड़ों को अन्तराल गर्भनिरोधक का उपयोग करने में सक्षम बनाया जा सके। अनुश्रवण एवं जागरूकता हेतु पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका को अहम:-डीएचएम संतोष कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत समुदाय आधारित अनुश्रवण एवं जागरूकता हेतु पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका को अहम माना गया है। जिसको देखते हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से पंचायतों में केंद्र एवं राज्य सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन कराया जाना है। साथ ही मिशन परिवार विकास अभियान में जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा रहा है।          जिससे ग्राम पंचायतों में एनएचएम के कार्यों की निगरानी, संरक्षण एवं ग्राम स्वास्थ्य समिति, ग्राम सभा के माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जा सके एवं लोगों को सुगमता के साथ स्वास्थ्य सुविधा दिलाई जा सके। साथ ही, वो क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य केंद्रों पर मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताएंगे, ताकि लोगों को स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी मिल सके। पुरुषों का जागरूक होना सबसे जरूरी:-सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज के ट्रेनर आलोक कुमार ने बताया कि आज परिवार नियोजन के साधानों (स्थायी व अस्थायी) के प्रति लोगों में काफी जानकारी बढ़ी है। जिसमें पुरुषों और महिलाओं में अस्थायी साधानों के इस्तेमाल की संख्या बढ़ी है। लेकिन अभी भी जब नियाेजन के स्थायी साधानों के इस्तेमाल की बारी आती है तब परिजन महिलाओं को आगे कर देते हैं। जो कहीं से न्याय संगत नहीं है। परिवार के सभी चीजों में पुरुषों और महिलाओं को कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। तभी परिवार खुशहाल बनेगा। वहीं ट्रेनर मृत्युंजय कुमार ने कहा कि आज पुरुषों को चाहिए कि वो महिलाओं के बंध्याकरण को रोकते हुए स्वयं नसबंदी के लिए आगे आएं। इससे महिलाओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।           क्योंकि नसबंदी की अपेक्षा महिलाओं का बंध्याकरण 20 गुणा जटिल होता है और इसमें महिलाओं को कभी कभी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक कराया जाएगा। इस दौरान डीएचएम संतोष कुमार व आरबीएसके के डीसी विकास कुमार के अलावा पंचायतों के सरपंच भी मौजूद रहे।

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