महिलाओं से चर्चा कर परिवार नियोजन के पांच सूचकांकों पर बढ़ाया जाएगा फोकस

पटना:- नवीन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (पांचवें) के अनुसार परिवार नियोजन के पांच सूचकांकों पर स्वास्थ्य विभाग फोकस करेगी। सूचकांकों पर फ्रंटलाइन वर्कर्स महिलाओं के साथ चर्चा कर उन्हें इसके महत्व को समझाएगी। जिन पांच सूचकांकों पर स्वास्थ्य विभाग फोकस करेगी इसमें गर्भनिरोधक प्रचलन दर, हाई अनमेट नीड, समय पूर्व शादी, किशोरी प्रजनन आदि शामिल है। इसके अलावा सभी जिलों को प्रत्येक माह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 120 बंध्याकरण या नसबंदी, संस्थागत प्रसव के विरुद्ध 20 प्रतिशत पोस्ट पार्टम आईयूसीडी और प्रत्येक स्वास्थ्य उपकेंद्र पर 5 अंतरा का लक्ष्य दिया गया है। यूनिसेफ के अनुसार, बाल विवाह कठोर सत्य है जो पांच में से एक लड़की की हो रही है। विश्व में 50 करोड़ से अधिक ऐसी लड़कियाँ और महिलाएँ जीवित हैं जिनका विवाह बचपन में ही कर दिया गया था। यूएन एजेंसी ने इस चुनौती से निपटने के लिए समन्वित, वैश्विक कार्रवाई पर बल दिया है ताकि वर्ष 2030 तक बाल विवाह के मामलों के उन्मूलन के लक्ष्य को साकार किया जा सके। “एजुकेट टू एंड चाइल्ड मैरिज” शीर्षक वाले एक शोध पत्र से पता चला है कि माता-पिता की काउंसलिंग और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में 49 हजार 813 बाल विवाह रोके गए, जबकि बाल विवाह के 9 हजार 551 मामलों में कानूनी हस्तक्षेप किया गया।                    इसमें सबसे ज्यादा (2022—23 में) 31 प्रतिशत बाल विवाह बिहार में रोके गए। यूनिसेफ के इस डेटा से ताल्लुक रखती शिवहर की दूरदराज के अदौरी गांव की आशा रंभा कहती हैं कि “हम जब भी परिवार नियोजन की जानकारी लेकर लोगों के बीच जाते हैं तो लोगों को बाल विवाह और किशोरी प्रजनन से बचने की सलाह देते हैं। इसके अलावा दो बच्चों में समय के अंतर रखने के लिए प्रचलन में आए गर्भनिरोधक की सलाह भी देते हैं। पिछले दो तीन वर्षों में बाल विवाह और किशोरी प्रजनन में भी कमी आयी है। यह गांवों में भी देखने को मिल रहा है।” न्यून प्रदर्शन करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की होगी समीक्षा:-हाल ही में हुए समीक्षा बैठक के दौरान जिला कार्यक्रम प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जिले के परिवार नियोजन में सबसे न्यून प्रदर्शन करने वाले चार प्रखंडों के नर्स, आशा, सीएचओ, बीएचएम, बीसीएम के साथ उनके कार्यों की समीक्षा करेगें। समीक्षा के दौरान पायी गयी कमियों को भी पूरा करने में सहयोग देगें। इसके अलावा प्रखंड की आशा और एएनएम को सक्रियता बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित भी करेगें। आशा की सक्रियता प्रखंड में बढ़ने से न सिर्फ नियमित प्रतिरक्षण के आच्छादन में वृद्धि होगी बल्कि मातृ स्वास्थ्य परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के सूचकांक में भी प्रगति होगी, जिससे स्वास्थ्य सूचकांक में अच्छा प्रदर्शन कर पाएगा।

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