किसानों के लिए कृषि अनुसंधान परिसर पटना द्वारा जागरूकता कार्यक्रम एवं प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन

पटना:-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में शनिवार को “वैज्ञानिक तकनीक द्वारा खेती एवं पशुपालन” विषय पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम एवं प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन किया गया, जिसमें बलिया, उत्तर प्रदेश के बसंतपुर गाँव के कुल 22 किसानों ने भाग लिया।           कार्यक्रम को शुरू करते हुए सर्वप्रथम किसानों को संस्थान के विभिन्न प्रक्षेत्रों जैसे प्राकृतिक एवं जैविक खेती, पोषण वाटिका, समेकित कृषि प्रणाली मॉडल, पशुपालन एवं मत्स्य पालन इकाई, संस्थान संग्रहालय तथा कृषि यंत्रशाला का भ्रमण कराकर उन्हें अलग-अलग वैज्ञानिकों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। इसका प्रमुख उद्देश्य यह था कि किसान उन्नत तकनीकों के बारे में जानें एवं इसे अपनाकर अपनी कृषि आय को बढ़ा सके। किसानों के साथ वार्तालाप करते संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने खेती एवं पशुपालन की उन्नत तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।           उन्होंने बताया कि छोटे जोत के किसान मुर्गीपालन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, वर्मीकम्पोस्ट, उच्च मूल्य वाले फलों और सब्जियों की खेती द्वारा अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। कृषक महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह बनाकर कृषि संबंधित लघु व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। साथ ही, उन्होंने बताया कि हमारी प्राकृतिक संपदा, जैसे मिट्टी, जल, वायु आदि को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग ने समेकित कृषि प्रणाली अपनाने पर बल दिया, साथ ही उन्होंने मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए समय-समय पर मिट्टी जांच कराने का सुझाव दिया तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती अपनाने पर बल दिया।            इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. धीरज कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत बसंतपुर, बलिया, उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने संस्थान द्वारा किसानों के उत्थान हेतु चलाए जा रहे विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान सभी किसानों को संकर मक्का एवं ज्वार (चारा फसल) के बीजों का वितरण भी किया गया।                         इस कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. वेद प्रकाश वैज्ञानिक, डॉ. विवेकानंद भारती वैज्ञानिक, डॉ. अभिषेक दूबे वैज्ञानिक अभिषेक कुमार प्रक्षेत्र प्रबंधक एवं उमेश कुमार मिश्र हिंदी अनुवादक का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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