हाथीपांव मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है एकीकृत उपचार केंद्र

पटना:- फाइलेरिया गंभीर बीमारी होने के साथ-साथ घातक भी है। बेशक, यह जानलेवा नहीं है।          इसके बावजूद हाथीपांव से ग्रसित मरीजों के जीवन में कई तरह की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। कल्पना कीजिए कि किसी बच्चा, जवान या महिला के पैर में पांच से दस किलो का वजन लगातार रहेगा, तो उसकी स्थिति कैसी होगी और जीवन कैसा होगा? उस वजन के साथ उसे चलने-फिरने या कई प्रकार के कामों में कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। उनका ये दुख और दर्द बयां नहीं किया जा सकता है। ये बातें बुधवार को राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के सामने अवस्थित राजकीय तिब्बी महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, पटना के परिसर में स्थित इंस्टीच्यूट आफ एप्लाइड डर्मटोलाजी (आईएडी), केरल के द्वारा चलाए जा रहे एकीकृत उपचार केंद्र के निरीक्षण के दौरान अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया डॉ परमेश्वर प्रसाद ने कही। राज्य के अतिप्रभावित जिलों में भी आईएडी संस्थान खोलने का किया आग्रह:-निरीक्षण के दौरान अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया डॉ परमेश्वर प्रसाद ने आईएडी के संस्थापक सह निदेशक डॉ एस आर नरहरि से वोडियो कॉफ्रेसिंग से बात कर फाइलेरिया बीमारी से अतिप्रभावित (हाईएंडेमिक) राज्य के दूसरे जिलों में भी आईएडी संस्थान खोलने का आग्रह किया। ताकि दूसरे जिलों के फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों को उपचार का लाभ मिल सके।           ज्ञातव्य हो कि आईएडी संस्थान द्वारा फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों का तीन महीने तक नि:शुल्क उपचार किया जाता है। दरअसल कोई मरीज आईएडी संस्थान में उपचार के लिए आते हैं, तो उनकी बीमारी के अनुसार उन्हें 7, 14 और 21 दिनों तक उपचार किया जाता है। इलाज के बाद घर जाने के दौरान उन्हें आईएडी संस्थान के द्वारा तीन महीने तक नि:शुल्क उपचार किया जाता है। इस दरम्यान उन्हें दवा समेत उपचार के अन्य सभी सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।
दिल्ली से आकर सीमा देवी एकीकृत उपचार केंद्र में करा रही है इलाज:-एकीकृत उपचार केंद्र में पचास की उम्र पार सीमा देवी पिछले दस दिनों से इलाजरत हैं। सीमा देवी 15 वर्ष की उम्र से ही हाथीपांव बीमारी से पीड़ित हैं। सीमा मूल रूप से पटना जिले के नौबतपुर प्रखंड के आरोपुर गांव की रहने वाली हैं। लेकिन वे दिल्ली में रहती हैं।            दिल्ली में कई बड़े अस्पतालों में उपचार करायीं पर बीमारी से राहत नहीं मिली। इसी दौरान वह अपने घर आयीं। यहां गांव के ही हाथीपांव से पीड़ित मरीज से आईएडी के बारे में जानकारी मिली। फिर उपचार के लिए एकीकृत उपचार केंद्र पहुंची। निरीक्षण के दौरान सीमा देवी ने अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ परमेश्वर प्रसाद को बताया कि एकीकृत उपचार केंद्र में आने के बाद अब मेरी बीमारी पहले से 50 फीसदी कम हो गयी है। यहां हमें बेहतर उपचार के साथ योगा के माध्यम से एकीकृत इलाज किया जा रहा है। इसका काफी लाभ मिला है। सीमा कहती हैं कि मैंने दिल्ली में कई बड़े अस्पतालों में हाथीपांव का इलाज कराया। लेकिन हर जगह से निराश होकर लौटी। पर, आईएडी संस्थान हाथीपांव मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
नवनीत भी इलाज को गए थे दिल्ली, पर निराश लौटे
सीमा की तरह नवनीत भी हाथीपांव के उपचार के लिए कई अस्पतालों का चक्कर काटकर लौट आए। उन्हें भी राहत नहीं मिली। नवनीत दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल भी गए। लेकिन वहां के डॉक्टरों ने भी उपचार करने में असमर्थता जतायी। नवनीत वर्ष 1995 से हाथीपांव से पीड़ित हैं। इस दौरान नवनीत को रोजगार के कई अवसर मिले, पर इस बीमारी के चलते वे नहीं कर पाए। उन्होंने बताया, एक दिन अखबार में आईएडी संस्थान के बारे में पढ़ा। उसके बाद यहां आकर उपचार करा रहा हूं। अब मैं पहले से 70 फीसदी बेहतर महसूस कर रहा हूं। संस्थान में करीब नौ माह में उपचार के लिए आए 130 मरीज:-एकीकृत उपचार केंद्र में आयुर्वेद पद्धति के साथ-साथ योगा के माध्यम से मरीजों का उपचार किया जाता है। एक जुलाई 2023 को पटना में उपचार केंद्र की शुरुआत हुई। अभी तक उपचार केंद्र में कुल 130 मरीज आए है। जिसमें से 126 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट गए।                          उपचार केंद्र में कुल दस लोग मरीजों की सेवा करते हैं। जिसमें आईएडी के समन्वयक आशीष मंगलम पांडे, आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुरानांचलम, योगा थेरेपिस्ट संतोष कुमार, चार स्वास्थ्य कर्मी, दो नर्स और एक पेशेंट काउंसलर शामिल हैं। इसके अलावे निरीक्षण के दौरान सिफार के एसपीएम रणविजय कुमार व डिप्टी एसपीएम रंजीत कुमार भी मौजूद रहे।

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