2025 तक प्रखंड को टीबी मुक्त बनाने के लिए लक्ष्य की प्राप्ति आवश्यक:-एमओआईसी

बक्सर:- डुमरांव प्रखंड में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को समीक्षा को लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद ने बैठक की। जिसमें उन्होंने सभी इंटीकेटर्स पर हेल्थ एंड वेलनेस वार तथा अनुमंडलीय अस्पताल की समीक्षा की।           उन्होंने सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और एएनएम को ओपीडी में आने वाले मरीजों में से निर्धारित प्रतिशत के मरीजों में टीबी की जांच कराएं। जिसमें यह ध्यान रखना होगा कि टीबी की जांच के लिए ऐसे संदिग्ध मरीजों को ही रेफर करें जिनमें टीबी के लक्षण दिखाई दें। जिससे केवल उन्हीं लोगों को इसका लाभ मिल सके, जिनको सही मायनों में टीबी जांच की आवश्यकता है। यदि लक्ष्य प्राप्ति के लिए किसी प्रकार की गड़बड़ी की गई तो संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी या सीएचओ पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले से मिले लक्ष्य के अनुसार डुमरांव प्रखंड की कुल जनसंख्या 283324 है। जिसके आधार पर पूरे साल में 624 मरीजों का नोटिफिकेशन करना है। अगर महीने की बात की जाए तो सरकारी और निजी क्षेत्रों को मिला कर एक माह में 52 मरीजों का नोटिफिकेशन किया जाना है। जिसे हर हाल में पूरा किया जाए। इसके लिए अनुमंडल अस्पताल के मरीजों के बीच जांच का दायरा बढ़ाने की अवश्यकता है। जिसे हर हाल में पूरा किया जाए, ताकि 2025 तक प्रखंड को टीबी मुक्त बनाया जा सके। टीबी मरीजों की नियमित करनी है निगरानी:-एमओआईसी डॉ. प्रसाद ने बताया कि पिछले माह में आचार संहिता लागू होने के बाद कुछ एक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। लेकिन, चुनाव के दौरान राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए पूर्व की भांति जिस प्रकार से टीबी के संदिग्ध मरीजों की खोज, इलाज, निगरानी आदि का काम चलता रहेगा। साथ ही, टीबी के सामान्य मरीजों और एमडीआर टीबी के मरीजों की नियमित निगरानी करनी है। ताकि, कोई भी मरीज इलाज अवधि के बीच अपनी दवाइयों का कोर्स बीच में न छोड़े। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को गोद दिलाने के लिए निक्षय मित्रों को चिह्नित करते हुए उनका रजिस्ट्रेशन करें। जिससे उनके द्वारा मिलने वाली सामग्रियों का लाभ टीबी के इलाजरत मरीजों को मिल सके और उन्हें जल्द से जल्द स्वस्थ किया जा सके। ट्रेस, टेस्ट और ट्रीटमेंट की तर्ज पर करना है काम:-एसटीएलएस बबलू कुमार ने बताया कि पिछले माह जिला मुख्यालय में यक्ष्मा के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (एसपीओ) डॉ. बीके मिश्र ने जिला यक्ष्मा केंद्र के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बैठक की थी। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी के अनुसार कोविड की तरह टीबी को जड़ से मिटाने के लिए हमें थ्री टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीटमेंट) की रणनीति पर फोकस करना होगा। जिससे आसानी से टीबी के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित किया जा सकेगा।           एसटीएलएस ने बताया कि जब जांच का दायरा बढ़ेगा, तो मरीजों के मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी। इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को ट्रेस करते हुए उनका टेस्ट करना होगा। जिसके बाद टीबी के मरीजों का इलाज शुरू किया ट्रीटमेंट जा सकेगा। बैठक में बीएचएम अफरोज आलम, बीसीएम अभिषेक कुमार, एसटीएस रवि शेखर कुमार समेत सभी सीएचओ और एएनएम भी मौजूद रही।

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