अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर विशेष:- लोकनृत्य और लोकनाट्य को सहेज रहे विकास, कोशी अंचल का देश-विदेश में नाम कर रहे रोशन

बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके हैं विकास

मधेपुरा:-जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत राजपुर गांव के सुयोग्य शिक्षक बालकृष्ण यादव एवं स्वास्थ्य कार्यकर्त्री प्रमिला देवी के ज्येष्ठ पुत्र विकास कुमार की शिक्षा शहर के निजी विद्यालय से शुरू हुई। स्कूल जीवन से ही इनका सहज झुकाव पढ़ाई से अधिक पारंपरिक गीत, लोकनृत्य और अभिनय जैसे सांस्कृतिक गतिविधियों की ओर थी। बाल्यकाल से ही गांव में होने वाले लोकनाट्य और नाटक आदि को बड़े गौर से देखते थे। लगभग 2001 में इप्टा द्वारा चल रहें रिहर्सल को देखने के लिए चुपके से निकल जातें थे। घंटों देखते रहते।इसी क्रम में निर्देशक को बाल अभिनय हेतु बालकलाकार की जरूरत पड़ी उनका ध्यान प्रायः आकर गौर से देखने वाला बच्चा विकास की ओर गया। उन्होंने बच्चे से पूछा तुम रोल करेंगे। इनकी चाह तो थी ही यहीं से विकास की रंगयात्रा शुरू हुई। इप्टा से जुड़े बिकास पढ़ाई के साथ रंगमंच से लगातार जुड़े रहे। देशभर में घूम-घूमकर इन्होंने दो दर्जन से अधिक नृत्य और नाटक संबधित कार्यशाला में भाग लिया। इस क्रम में इन्हें सीखने और खुद को तरासने का अच्छा अवसर मिला। कला के क्षेत्र में विकास कुमार किसी पहचान के मुहताज नहीं हैं। पिछले 15 वर्षों से जिला स्तरीय मंच, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय मंच पर अपनी धमक से सभी को मंत्रमुग्ध किया है। वे लगभग 24 वर्षों से कला क्षेत्र में निरंतर जुटे है। 2004 ग्रामीण नाट्य महोत्सव में बेहतर प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया है।2006 में जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में द्वितीय और 2007 मे प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। 2010 में गणतंत्र दिवस पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकनृत्य विधा में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। राज्य स्तरीय व अंतर राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम में लगातार प्रदर्शन करते आ रहे है।                                       2012 राज्यस्तरीय युवा उत्सव में तृतीय स्थान प्राप्त किया। कोशी महोत्सव, उग्रतारा महोत्सव, मिथिला महोत्सव, विशुरातु महोत्सव, सोनपुर महोत्सव, माहेश्वरी महोत्सव, विद्यापति महोत्सव, लोरीक महोत्सव, भागलपुर महोत्सव , पाटलिपुत्र महोत्सव,गोष्टामी महोत्सव और सिंहेश्वर महोत्सव सहित अन्य महोत्सवो में भी बिकास को बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है। 2017 में आयोजित विशिष्ट कलाकारों ईचायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार पा चुके हैं।2021-22 में अंतरराष्ट्रीय कला महोत्सव में मौका मिला वहां पर भी लोक नृत्य की सफल प्रस्तुति के लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति मंत्री द्वारा सम्मान मिला। 2022-23 में भी राज्यस्तरीय युवा उत्सव में अपनी टीम द्वारा लोक नृत्य और एकांकी नाटक सहित लोकगाथा में बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ।2024 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव में बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। बिहार सहित अन्य राज्यों झारखंड, असम, दिल्ली, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की राजधानी एवं पड़ोसी देश नेपाल के बड़े मंचों से लोकनृत्य और लोकनाट्य की सशक्त प्रस्तुति कर चुके है। साथ ही लोकनृत्य, नाटक में अभिनय, लेखन और निर्देशन करते आ रहें है। बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही एक दर्जन कल्याण कारी योजनाओं पर अधारित नुक्कड़ नाटक का लेखन, मंचन और निर्देशन कर चुके हैं। वे अभी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पुरी करने के बाद आगे की उच्च शिक्षा के लिए भी प्रयासरत है। अपनी कला के प्रदर्शन के साथ वे जिले के बच्चों को लोक नृत्य और नाटक का प्रशिक्षण भी देते हैं। सृजन दर्पण के अध्यक्ष डॉ.ओम प्रकाश ओम कहते हैं रंगकर्मी विकास कुमार अपनी टीम के साथ विभिन्न राज्यो के महोत्सव में लोकनृत्य प्रस्तुति कर कई पुरस्कार हासिल कर चुके है। इन्होंने सृजन दर्पण के कलाकारों को ना केवल प्रशिक्षण बल्कि प्रदर्शन हेतु बड़े-बड़े मंचों पर मौका भी दिया। इस रंग यात्रा में बड़े-बड़े कलावंतो का सानिध्य लाभ मिला। इसके अन्दर की प्रतिभा को निखारने एवं तरासने में कला के विविध क्षेत्रों के अधिष्ठाताओ से काफी प्रेणना मिली। इन्हे उत्कृष्ट लोकनृत्य एवं नाट्य अभिनय के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया। कोशी अंचल के विलुप्त हो रही संस्कृति को दो दशकों से सहेजने में इनका अहम योगदान रहा है। लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के क्षेत्र में बिकास कुमार ने लगभग एक दशक से हजारों नव कलाकारों को प्रशिक्षित किया एवं उसे एक नई दिशा देने का काम किया। जो जिले से लेकर राज्यकीय एवं राष्ट्रीय मंचों पर बेहतर प्रदर्शन कर अपनी लोक संस्कृति का परचम लहरा रहे है। इस बदलते दौर में भी जहां कला के प्रति उपेक्षा के कारण कलाकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण बहुत- सी प्रतिभाएं मजूबर होकर इस ओर से अपना मुख मोड़ लेती है।उनकी कला अससय विपन्ता की मार से लुप्त हो जाती है। ऐसी दशा में भी रंगकर्मी बिकास ने अपना कारवां जारी रखा। इसमें कोशी के शिक्षाविदों एवं कलाप्रेमियों का सहयोग अविस्मरणीय है। इस निरंतन कला साधना का ही परिणाम है कि 2024 में मधेपुरा पहली बार रंगकर्मी विकास कुमार को दूरदर्शन केन्द्र पटना द्वारा लोकनृत्य के क्षेत्र में आयोजित आडिशन में ग्रेड मिला। यह पुरे कोशीवासियों के लिए गौरव की बात है।

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