निक्षय दिवस से यक्ष्मा उन्मूलन अभियान को मिली गति

पटना:-सूबे में टीबी को लेकर लोगों की भ्रान्ति तेजी से दूर हो रही है. लोग जागरूक हो रहे हैं तथा सन्देह होते ही इलाज कराने को सामने आने लगे हैं. राज्य में प्रखंड स्तर पर कार्यरत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तथा अन्य सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर हर माह की 16 तारीख को मनाये जाने वाले निक्षय दिवस कार्यक्रम से ऐसा सम्भव हुआ है. इसने यक्ष्मा उन्मूलन अभियान को गति दी है. देश में यक्ष्मा उन्मूलन वर्ष 2025 तक करने का लक्ष्य है.निक्षय मित्र मिथिलेश पाठक ने बताया कि पहले लोग टीबी को लेकर भ्रांति और अफवाहों के चक्कर में आ जाते थे. लोग दूसरों से अपने या अपने स्वजनों के टीबी से ग्रसित होने की बात छिपाते थे. लोगों को डर रहता था कि टीबी की बात सुनकर उनके घर के लड़के-लड़कियों की शादी में दिक्कत आ सकती है. लेकिन, आज परिदृश्य बदलने लगा है. श्री पाठक बताते हैं कि अब शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोगों में टीबी को लेकर जागरूकता आई है. लोग समझने लगे है कि टीबी का इलाज भी है और इसकी हर सेवा सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध भी है. लोग भी टीबी मरीजों के इलाज में सहयोग करने लगे हैं. “निक्षय मित्र” बनने और बनाने को भी स्वत: आगे आने लगे हैं. दरअसल टीबी मरीज को गोद लेने की केंद्र सरकार की एक योजना है “निक्षय मित्र”. “निक्षय मित्र” बनने वाले को कम से कम पाँच जरूरतमन्द टीबी पीड़ित को गोद लेनी होती है और उनके पौष्टिक खानपान में सहायता करनी होती है. उन्हें नियमित दवा खाने के लिए उत्प्रेरित करना होता है. जब मरीज की सेहत बेहतर हो जाती है तो गोद लेने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य विभाग प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करती है। मेरे अनुभव अनुभव हैं:-बक्सर जिला अंतर्गत नावानगर प्रखंड स्थित सोनवर्षा पंचायत के निवासी अनुज कुमार (बदला हुआ नाम) ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर निक्षय दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के कारण मुझे टीबी के लक्षण की जांच तथा दवा के पूरे कोर्स के सेवन की महत्ता समझ में आयी। मैंने दवा के पूरे कोर्स का सेवन किया और अब टीबी को हराकर पूरी तरह स्वस्थ हूं।           निक्षय दिवस पर जिला एवं प्रखंड स्तर तक की सहभागिता होती है सुनिश्चित:-सूबे में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर हर महीने 16 तारीख को होने वाले निक्षय दिवस में इलाजरत टीबी मरीजों का फॉलो अप, बीच में दवा छोड़ने वाले मरीजों का उन्मुखीकरण एवं फॉलो अप, टीबी के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार, कई जगहों पर इलाजरत मरीजों के बीच निक्षय मित्रों द्वारा फूड पैकेट का वितरण आदि किया जाता है. नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) के राज्य आईईसी पदाधिकारी बुशरा अज़ीम बताया कि निक्षय दिवस के दिन जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े सभी इंडीकेटर्स पर फॉलो अप किया जाता है. इस दिन आशा तथा एएनएम द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जाता है. बड़े पैमाने पर टीबी को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता है. इससे यक्ष्मा उन्मूलन अभियान को गति मिल रही है। जागरूकता है टीबी पर जीत का हथियार:-टीबी मुक्त वाहिनी, बिहार के सचिव सुधेश्वर सिंह ने बताया कि निक्षय दिवस के दिन इलाजरत टीबी मरीजों की काउंसिलिंग की जाती है ताकि वह दवा के पूरे कोर्स का सेवन करें. निक्षय दिवस के दिन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर अगर कोई टीबी चैंपियन उपलब्ध रहता है तो वह भी यक्ष्मा पीड़ितों को जागरूक करता है. इसका अच्छा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि इससे लोगों में जागरूकता बढ़ी है और लोग अब आगे आकर टीबी की जांच एवं उपचार करा रहे हैं।

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