पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर वैश्य समाज ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर किया याद

सहरसा:-भारत रत्न देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मीर टोला स्थित वैश्य समाज के कार्यालय में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। जयंती समारोह में मुख्य रुप से भामाशाह विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष व बिहार भाजपा के नेता नेरश साह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे।          उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला है, वे पहले 13 दिन के लिए 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक। फिर लगातार 2 बार 8 महीने के लिए 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 और फिर वापस 13 अक्टूबर 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। अटल जी के नेतृत्व, विचारधारा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि वाजपेयी जी के 1998-99 के प्रधानमंत्री के कार्यकाल को दृढ़निश्चकय के एक साल के रूप में जाना जाता है। इसी दौरान 1998 के मई महीने में भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया था जिन्होंने परमाणु परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वैश्य समाज के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण साह उर्फ मोहन साह ने कहा कि 1975-77 आपातकाल के दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है। अपनी कविता के सम्बन्ध में उन्होंने लिखा मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ। वैश्य समाज के जिला प्रवक्ता राजीव रंजन साह ने कहा कि वाजपेयी जी इकलौते नेता हैं जिन्हें चार अलग-अलग राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली) से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने का गौरव हासिल है। एक प्रधानमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल इतना गौरवशाली रहा कि एक दशक के बाद भी उस कार्यकाल को न सिर्फ याद किया जाता है, बल्कि उस पर अमल भी किया जाता है। इसमें पोखरण परमाणु परीक्षण, आर्थिक नीतियों में दूरदर्शिता आदि शामिल हैं।                         वैश्य समाज के उपाध्यक्ष कृष्ण मोहन चौधरी, विजय गुप्ता, शशि सोनी, कामेश साह, संतोष कुमार मुंगेरी, श्यामनंदन पोद्दार, अरूण जयसवाल, संरपंच लालबहादुर साह, पूर्व मुखिया राजकिशोर साह उर्फ मन्टून, बैजनाथ भगत, मुन्ना गुप्ता, धुर्व ठाकुर, हरेराम साह, निरंजन कुमार आदि ने कहा कि आधारभूत संरचना के विकास की बड़ी योजनाएं जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग और स्वर्णिम चतुर्भुज योजनाएं भी इनमें शामिल हैं। बहुत ही कम ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने समाज पर इतना सकारात्मक प्रभाव छोड़ा। उनका प्रेरणादायक जीवन हम सभी को राष्ट्र सेवा के प्रति और अधिक समर्पित होने की प्रेरणा देता है।

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