पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप

डेस्क:-पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस के खिलाफ एक महिला ने छेड़-छाड़ का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इस बीच पुलिस ने आरोपों की जांच शुरू कर दी है। कोलकाता पुलिस के सेंट्रल डिवीजन की डिप्टी कमिश्नर (डीसी) इंदिरा मुखर्जी ने बताया कि राज्यपाल के खिलाफ छेड़-छाड़ का मामला सामने आया है। इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है। हम अगले कुछ दिनों में कुछ संभावित गवाहों से बात करेंगे। साथ ही सीसीटीवी फुटेज के लिए अनुरोध किया गया है।कोलकाता के राजभवन में एक संविदा कर्मचारी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उन्होंने गुरुवार की शाम कोलकाता के हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। उनका दावा है कि राज्यपाल ने उनके साथ दो बार छेड़खानी की। पहली बार 24 अप्रैल को फिर गुरुवार शाम को। महिला का आरोप है कि राज्यपाल ने उन्हें बायोडाटा के साथ राजभवन स्थित अपने चेंबर में आने को कहा था जहां उनके साथ छेड़खानी की गई। उन्होंने पहले राजभवन में स्थित आउट पोस्ट में तैनात पुलिसकर्मियों से इसकी शिकायत की। वहां से उन्हें थाने में जाने को कहा गया।           पुलिस की ओर से महिला का परिचय गोपनीय रखा गया है। पता चला है कि महिला 2019 से राजभवन में अस्थायी रूप से कार्यरत है। वह राजभवन परिसर में स्थित हॉस्टल में रहती हैं। उधर राज्यपाल ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अभी बहुत कुछ होने वाला है। हालांकि राज्यपाल बोस ने आरोपों का खंडन किया है। राजभवन ने शुक्रवार को राज्यपाल का एक रिकॉर्ड बयान जारी किया था। इसमें तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राज्यपाल ने कहा कि कोई भी टीएमसी के भ्रष्टाचार और हिंसा पर लगाम लगाने के मेरे प्रयासों को रोक नहीं सकता है। मेरे प्रयास दृढ़ हैं। बयान में उन्होंने आगे कहा कि मैं कुछ राजनीतिक ताकतों द्वारा लगाए गए आरोपों का स्वागत करता हूं। मैं जानता हूं कि अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कोई मुझे इन बेतुके आरोपों से नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे एक दिन 1943 की बंगाल फेमिन के साथ-साथ 1946 में कलकत्ता में हुई हत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया जाएगा। इधर अधिवक्ता संजय हेगड़े ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार राज्यपाल और राष्ट्रपति को अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए अदालत में किसी भी बात का जवाब देने से छूट है। हालांकि यह कानून का साफ सवाल है जिस पर अभी फैसला नहीं लिया गया है कि क्या कुछ भी जो उन कर्तव्यों के दायरे से बाहर है वह भी प्रतिरक्षा खंड के अंतर्गत आता है। छेड़-छाड़ मामले को लेकर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शिकायत की जांच की जा सकती है। अनुच्छेद 361 (2) में यह कहा गया है कि कानून की अदालत में राष्ट्रपति और राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू नहीं किया जा सकता है। लेकिन एफआईआर पुलिस द्वारा दर्ज की जाती है। इसलिए तकनीकी रूप से पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर जांच कर सकती है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com