उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सूबे में एनक्यूएएस प्रमाणीकरण पर जोर

पटना:- राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और आधारभूत संरचनाओं के मानकों पर खरा उतरने के लिए सूबे के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड(एनक्यूएएस) के प्रमाणीकरण के लिए तैयारियां जोरों पर है। सूबे के कटिहार, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, मुंगेर, रोहतास सारण और अररिया सहित अन्य जिलों में भी राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय टीम की विजिट जारी है। एनक्यूएएस पर जिला अस्पताल की तैयारियों में सहयोग कर रही पीरामल संस्था में फेलोशिप कर रहे मुदित पाठक ने बताया कि एनक्यूएएस के साथ इस बार लक्ष्य सर्टिफिकेशन की भी तैयारी जोरों पर है। इससे लेबर रूम के साथ ओटी में दी जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं को मानक अनुरूप बेहतर किया जाता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक जिन जिलों में लक्ष्य का प्रमाणीकरण हुआ है वहां सामान्य संस्थागत प्रसव में 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा सिजेरियन में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही रेफर, डेथ तथा लामा में भी कमी आयी है। राज्य में सरकारी संस्थानों में वर्ष में औसतन 17 लाख संस्थागत प्रसव हो रहे हैं। एनक्यूएएस के लिए तीन स्तर पर होती है जांच:-एनक्यूएएस के प्रमाणीकरण के लिए तीन स्तर पर जांच दल के द्वारा छह मानकों पर कम से कम 70 फीसदी की अर्हता जरुरी होती है।            पहले स्तर पर जिला स्तरीय टीम प्रमाणीकरण में शामिल होने वाले स्वास्थ्य केंद्र का आकलन करती है। संतुष्ट होने पर राज्य स्तरीय टीम उस स्वास्थ्य केंद्र पर मानक के अनुरूप दी जाने वाली सुविधाओं पर अंक देती है। हर मानक पर कम से कम 70 प्रतिशत अंक आने पर ही राष्ट्रीय स्तर के प्रमाणीकरण के लिए आवेदन किया जाता है। राष्ट्रीय टीम के जांच और न्यूनतम अर्हता के प्रतिशत के बाद ही वह स्वास्थ्य केंद्र राष्ट्रीय स्तर से प्रमाणीकृत हो पाता है। सूबे में इस बार 10 संस्थान राष्ट्र स्तर से और 24 संस्थान राज्य स्तर से सर्टिफाइड हुए हैं। फार्मेसी और लेबोरेटरी भी है जरूरी:-एनक्यूएएस प्रमाणीकरण के तहत ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, इमरजेंसी, लेबर रूम, मेडिकल रिकॉर्डस, मेडिकल एंड डेथ ऑडिट का मूल्यांकन किया जाता है। वहीं, फार्मेसी, एंबुलेंस, उपकरणों का रखरखाव, लेबोरेटरी तथा नर्सिंग से संबंधित गतिविधियों का भी मूल्यांकन होता है। साथ ही अस्पताल के प्रबंधन और गुणवत्ता प्रोसेस के तहत मरीजों का फीडबैक, मरीजों के अधिकार, अस्पताल का कार्यप्रदर्शन, आपदा प्रबंधन सहित सेवाओं का मूल्यांकन भी इसमें शामिल है।

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