मधेपुरा लोकसभा : जदयू और राजद में दिख रहा है सीधा मुकाबला 

लालू-शरद और पप्पू यादव यहां से बन चुके हैं सांसद
सहरसा:-‘रोम पोप का मधेपुरा गोप का’ ये खास नारा मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र को लेकर चर्चित रहा है। जहां गोप यानी यादव मतदाताओं से है। राजनीतिज्ञ जानकारों की माने तो यादव वोटर ही यहां किसी भी दल के प्रत्याशी की किस्मत तय करते हैं। मधेपुरा लोकसभा से लालू प्रसाद यादव, दिवंगत नेता शरद यादव और पप्पू यादव चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे हैं। लालू प्रसाद और शरद यादव के बीच सीधी मुकाबला होने के बाद से यह लोकसभा क्षेत्र चर्चित है। यहां तीसरे चरण में आगामी 07 मई को मतदान होना है। जानकारी हो कि मधेपुरा लोकसभा के अन्तर्गत 06 विधानसभा आते हैं। जिसमें सहरसा, महिषी, सोनवर्षा, मधेपुरा, आलमनगर एवं उदाकिशुनगंज शामिल है। एनडीए गठबंधन से दिनेश चंद्र यादव को जदयू से उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजद ने कुमार चंद्रदीप को अपना उम्मीदवार बनाया है। यानि एक बार फिर दो यादवों के बीच सीधी टक्कर होने की बात कही जा रही है। हालांकि मतदाताओं की गोलबंदी एवं चुप्पी से सारा समीकरण बनता और बिगड़ता दिख रहा है। सनद रहे कि 1998 और 2004 में लालू प्रसाद यादव मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इस क्षेत्र से पप्पू यादव भी दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्र से 4 बार शरद यादव चुनाव जीते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम की बात करे तो यहां से जनता दल यूनाइटेड के दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी। दिनेश चंद्र यादव को 6,24,334 वोट मिले थे। आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े दिवंगत नेता शरद यादव को इस सीट पर 3,22,807 वोट मिले थे।           आरजेडी से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को इस सीट पर 97,631 वोट मिले थे। 38,450 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। 2019 में इस सीट पर 60.89 प्रतिशत मतदान हुआ था। कुल 11,47,652 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। दुसरी ओर जातीय समीकरण पर नजर डाले तो यहां सबसे ज्यादा यादव वोटर हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और राजपूत वोटर हैं। इस सीट पर करीब 3.3 लाख यादव वोटर हैं। 1.8 लाख मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है। ब्राह्मण वोटर की संख्या 1.7 लाख, राजपूत वोटर की संख्या 1.1 लाख हैं। दलित 1.10 लाख, कुर्मी कोयरी वोटर की संख्या करीब 1.25 लाख है। अब देखना होगा कि वर्तमान सांसद दिनेश चन्द्र यादव अपनी सीट बचाने में कहां तक कामयाब होते हैं या फिर राजद के कुमार चंद्रदीप अपने कुनबा के कुनबाई में कामयाब होंगे। हालांकि मधेपुरा लोकसभा में जातीय समीकरण चुनावी परिणाम की दिशा और दशा तय करती रही हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

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