मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर से पांच साल में शहरी टीकाकरण में चार गुना वृद्धि

पटना:-मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर के नए प्रयोग ने 9 माह से 12 माह के शहरी बच्चों के टीकाकरण की गति और आच्छादन में उल्लेखनीय विस्तार दिया है. केवल पांच साल में ही इसमें चार गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत का मानना है कि स्वास्थ्य महकमे की इस नई पहल ने शहरी स्लम बस्ती में रहने वाले परिवारों और उनके बच्चों का जीवन सुरक्षित किया है. ज्ञातव्य है कि राज्य के अभी 27 शहरों में ऐसे 90 मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर कार्यरत हैं. वर्ष 2019-20 में जब पहली बार ये कॉर्नर बने तो पहले साल यहाँ 23 हजार 671 बच्चों का टीकाकरण किया गया. केवल पांच साल में यह आँकड़ा बढ़कर गत वर्ष 2023-24 में 1 लाख 1 हजार 227 पर पहुंच गया. राज्य में इसके अतिरिक्त 106 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी टीकाकरण केंद्र काम कर रहा है.सूबे के राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के राज्य कार्यक्रम अधिकारी मो. मसऊद आलम ने बताया कि कि मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर के माध्यम से पहले वर्ष 2019—20 में 23 हजार 671 बच्चों का टीकाकरण हो पाया था. अगले साल 2020—21 में इसमें दोगुनी वृद्धि हुई और 49 हजार 453 बच्चों को टीकाकृत किया गया. इसके बाद आये कोविड काल ने मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर के काम पर भी प्रतिकूल असर डाला. फिर भी वर्ष 2021—22 में 51 हजार 743 बच्चे टीकाकृत हुए।                           कोविड काल का असर कम होते ही इसमें भारी उछाल दर्ज हुआ और वर्ष 2022—23 में 87 हजार 378 तथा गत वर्ष 2023—24 में 1 लाख 1 हजार 227 शिशुओं को प्रतिरक्षित किया गया है. राज्य में प्रायोगिक तौर पर 2018—19 में पटना, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर में पांच मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर स्थापित किये गये थे. इसे पूरी तरह से चाइल्ड फ्रेंडली और किसी निजी टीकाकरण केंद्र की तरह ही बनाया गया था. वर्ष 2012-13 में हुआ सर्वे और 2018-19 में हुई शुरुआत:-दरअसल वर्ष 2012-13 के दौरान बिहार के 27 शहरों में टीकाकरण केंद्र स्थापित करने को लेकर वृहद सर्वे किया गया था. इस दौरान शहरी क्षेत्रों में अभिभावकों के काम पर जाने के कारण टीकाकरण केंद्रों तक उनके नहीं पहुंचने की बात सामने आयी थी. मो. मसऊद आलम ने बताया कि इस सर्वे के निष्कर्षों को आधार मानकर प्रायोगिक तौर पर शुरू किए गए मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर के काम करने की अवधि दिन में 11 बजे से शाम के 7 बजे तक किया गया. इससे शहरी टीकाकरण में पहले से बेहतर परिणाम मिलने लगे. उल्लेखनीय है कि कुछ दशक पहले तक टीकाकरण के मुख्य और प्राथमिक केंद्र गांव ही रहे थे. ऐसे में शहरी क्षेत्र में बढ़ते स्लम क्षेत्र और आय के असमान वितरण ने यहां भी स्वास्थ्य के अन्य मुद्दे सहित बच्चों के टीकाकरण की जरूरत को पैदा किया. इसी असमानता को कम करने के लिए राज्य में वर्ष 2018-19 में शहरी टीकाकरण की रणनीति बनी, जिससे शहरी क्षेत्रों में शिशुओं को पूर्ण प्रतिरक्षित किया जा सके. टीकाकरण के आधारभूत संरचनाओं को किया सुदृढ़:-पांच मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर की सफलता के बाद राज्य के राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) ने राज्य के 27 शहरी क्षेत्रों में 95 मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर स्थापित करने का अनुरोध स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को भेजा. वर्ष 2019-20 में 90 केंद्रों के स्थापना की स्वीकृति दी गयी. ये सारे मॉडल इम्यूनाइजेशन कॉर्नर अभी भी संचालित हैं. इसके अलावा 106 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित तौर पर टीकाकरण केंद्र भी संचालित हैं. इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में जागरूकता के लिए आशा का चयन, महिला आरोग्य समिति का गठन जैसे कार्यों ने शहरी टीकाकरण को अभूतपूर्व गति दी।

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