राष्ट्रीय ड़ेंगू दिवस पर जिला को डेंगू मुक्त करने की ली गई शपथ

सासाराम:- सदर अस्पताल के ओपीडी स्थित सभागार में गुरुवार को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार की अध्यक्षता में शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में जिले को डेंगू मुक्त करने के लिए शपथ लिया गया।        जिले से डेंगू को समाप्त करने में अपना सहयोग देने, अपने घर के आस-पास जल जमाव नहीं होने देने, तथा मच्छरों को पनपने से रोकने के साथ साथ जब भी सोएंगे मच्छरदानी के अंदर ही सोएंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। बुखार होने पर सरकारी अस्पताल में ही जाएंगे तथा चिकित्सक के परामर्श के अनुसार उपचार कराएंगे का शपथ लिया गया। शपथ ग्रहण के बाद ओपीडी विभाग के अंदर एवं बाहर मौजूद लोगों के बीच डेंगू बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। लोगों को डेंगू बीमारी के बचाव एवं लक्षण के बारे में जानकारी दी गई। सावधानी ही डेंगू बीमारी से बचाव:-प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने बताया कि सावधानी ही डेंगू बीमारी से बचाव है। उन्होंने बताया कि डेंगू चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और यह स्थिर और साफ पानी में पनपता है। उन्होंने बताया कि तेज बुखार, बदन/ सिर एवं जोड़ में दर्द तथा आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान/ नाक/ मसूड़ों से या उल्टी के साथ रक्त स्राव होना डेंगू के मुख्य लक्षण है। ऐसी स्थिति में पीड़ित मरीज तुरंत सरकारी अस्पताल/ मेडिकल कॉलेज में जाकर अपना इलाज करवाएं। सिविल सर्जन ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू बीमारी के निशुल्क इलाज एवं जांच मौजूद है। वर्तमान में जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू जांच के कीट मौजूद है। ड़ेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों को पनपने से रोकें:-जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि डेंगू और चिकनगुनिया एडिस मच्छर के काटने से होता है। डेंगू बीमारी में बुखार हड्डी तक पहुंच जाता हैं और चिकनगुनिया में भी बुखार होते हैं और सभी जोड़ों में दर्द होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि डेंगू के मच्छरों को पनपने से रोका जाए। उन्होंने बताया कि डेंगू के लक्षण से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को ढकने वाला कपड़ा पहने। घर के सभी कमरों को साफ सुथरा और हवादार बनाएं। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज कि पानी निकासी ट्रे, पानी टंकी एवं घर के अंदर एवं अगल-बगल पानी न जमा होने दें। गमला, फूलदान में पानी हर दूसरे दिन बदले। साथ ही उन्होंने सलाह दिया कि तेज बुखार होने पर एस्प्रिन अथवा बुफ़्रेन जैसी दवा का इस्तेमाल ना करें। ज्यादा आवश्यकता हो तो पारासिटामोल की गोली ले सकते हैं और बुखार नहीं उतरने पर तुरंत सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की सलाह लें।           मौके पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ पीके कौनौजिया, वीडीसीओ जय प्रकाश गौतम, कुमारी मानसी भारती, गौरव कुमार, संजीत राय, रौशन कुमार सिंह, मलेरिया विभाग के प्रकाश कुमार, शुर्यकांत कुमार, गौतम राज, पीरामल स्वास्थ्य के सरोज कुमार दुबे, फाइलेरिया विभाग के सुजीत कुमार, अभिनंदन कुमार, सुदामा भारती, गोपाल सिंह, मदन कुमार, एड्स विभाग से एसटीडी परामर्शदाता राजेन्द्र प्रसाद के अलावा अन्य लोग मौजूद थे।

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