सीपैप मशीन अतिगंभीर नवजातों के लिए बन रहा जीवनरक्षक

सासाराम:- सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है और स्वास्थ्य सुविधा होने से सरकारी अस्पतालों में बेहतर परिणाम मिलते दिखाई दे रहे हैं। वही शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का भी प्रयास लगातार जारी है और इससे सरकार को सफलता मिल भी रही है। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सभी जिलों में बेहतर एसएनसीयू का भी निर्माण करके लगातार सफलता हासिल की जा रही है। सदर अस्पताल के मातृ शिशु अस्पताल में संचालित एसएनसीयू भी बेहतर परिणाम देता दिखाई दे रहा है और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। एसएनसीयू में अत्याधुनिक मशीनों से नवजातों की जिंदगी बचाई जा रही है। उन्हें अत्याधुनिक मशीनों में से एक है सी पैप। कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर मशीन सांस लेने में तकलीफ वाले नवजातों को बचाने में भूमिका निभा रहा है। सभी जिलों को उपलब्ध कराए गए है सी पैप मशीन:-जिला स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में वर्ष 2019 के आसपास इस मशीन को उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2021 में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर अखिलेश कुमार के समय इसे चालू किया गया था परंतु इस मशीन के चलाने के लिए प्रशिक्षित नर्स नहीं होने की वजह से इसे बंद कर दिया गया। वर्ष 2024 के फरवरी महीने में राज्य के लगभग 35 जिलों के एसएनसीयू नोडल अधिकारी, डॉक्टर एवं स्टाफ नर्स को इसका पूर्ण प्रशिक्षण दिया गया उसके बाद से मार्च 2024 से यह मशीन एसएनसीयू में संचालित किया जा रहा है। बेहतर प्रशिक्षण से मिल रहा लाभ:-सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ विवेक कुमार रंजन, राकेश कुमार एवं स्टाफ नर्स बिदूसी लता ने पटना में इस मशीन का संचालन का प्रशिक्षण हासिल किया।          उसके बाद बिदुसी लता ने एसएनसीयू की अन्य नर्सों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान किया। जिसके बदौलत सीपैप के संचालन में सूबे में रोहतास जिला बेहतर परिणाम दे रहा है। एसएनसीयू के नोडल पदाधिकारी डॉक्टर विवेक कुमार रंजन ने बताया कि सांस की तकलीफ वाले बच्चे, या कमजोर बच्चे या फिर 9 महीने का पहले या फिर 9 महीने के बाद जन्म लेने वाले नवजात शिशु के लिए यह मशीन काफी कारगर होता है। साथ ही यह ऑक्सीजन लेवल को भी मेंटेन करता है। खासकर सांस से संबंधित बीमारी एक्सफेसिया में यह कारगर साबित होता है। उन्होंने बताया कि डिलीवरी के दौरान इस तरह की समस्या से पीड़ित बच्चों को यदि प्रॉपर चैनल के माध्यम से एसएनसीयू में भर्ती कराया जाए तो ऐसे बच्चों को सी पैप मशीन के माध्यम से बचाने की संभावना 90% बढ़ जाती है। प्रशिक्षण का मिल रहा बेहतर लाभ:-प्रशिक्षण प्राप्त स्टाफ नर्स बिदूसी लता ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद सी पैप मशीन का प्रयोग किया जा रहा है और सांस लेने में तकलीफ वाले नवजात शिशुओं को इसके माध्यम से प्रेशर दिया जाता है जो काफी कारगर साबित होता है। उन्होंने बताया कि एसएनसीयू के डॉक्टरों की सलाह पर सांस लेने में तकलीफ वाले नवजात को सी पैप पर रखा जाता है।

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