पत्रकारिता का मिशन से कमीशन की ओर जाना खतरनाक:- राठौर

न्यूज और व्यूज के अंतर को गंभीरता से समझने की जरूरत

मधेपुरा:-पत्रकारिता सिर्फ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ही नहीं है बल्कि यह समाज की गतिविधियों का दर्पण है।मिशन है कमीशन नहीं यही उक्त बातें युवा सृजन पत्रिका के प्रधान संपादक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कही।उन्होंने कहा कि इसकी पहचान और सार्थकता हर सभी दौर में रही है वर्तमान समय में पत्रकारिता मिशन की जगह उद्योग और व्यापार का स्वरूप ले रही है जिससे इसकी विश्वसनीयता पर संकट उत्पन्न हो रहा है ।राठौर ने कहा कि पत्रकारों का जीवन हमेशा संघर्ष की परिधि में गुजरता है ये समाज को उसका आईना दिखाने का काम करते हैं। समय के साथ पत्रकारिता की परिभाषा भी परिवर्तित हुई है ऐसे दौर में विशेष कर न्यूज और व्यूज को अलग अलग रखने की जरूरत है। खबरों के साथ पत्रकारिता की जिम्मेदारी भी बढ़ी:-राठौर ने कहा कि बढ़ते समय और बदलते दौर के साथ पत्रकारिता की जिम्मेदारी बढ़ी है।खबरों के साथ साथ युवाओं के कैरियर, महिलाओं, छात्रों, किसान आदि से जुड़े सामग्रियों का प्रकाशन कर यह निरंतर समाज से करीब होता जा रहा है। विषम परिस्थितियों में लोगों को यह हर क्षेत्र से जोड़ने का सशक्त माध्यम बन उपस्थित हुआ है।विभिन्न घटनाओं के शिकार हो असमय निधन हुए पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राठौर ने कहा कि इनकी भूमिका और त्याग को हमेशा याद रखा जाएगा।          हिंदी के पहले साप्ताहिक पत्र उदंत मार्तण्ड को समर्पित हिंदी पत्रकारिता दिवस हमें पत्रकारों के योगदान को महसूस करने व समझने का अवसर देता है। भारत में हिंदी पत्रकारिता का व्यापक क्षेत्र है प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ सोशल वेब मीडिया में भी हिंदी का अपना महत्व है। ब्रेकिंग न्यूज कभी भी ब्रेक करने वाली नहीं होनी चाहिए:-ब्रेकिंग न्यूज की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए राठौर ने कहा कि ब्रेकिंग न्यूज कभी भी ब्रेक करने वाली नहीं होनी चाहिए बल्कि सामाजिक समरसता को बढ़ाने वाली होनी चाहिए।हिंदी पत्रकारिता हमेशा से भारत में पत्रकारिता की सिरमौर रही है इसे हमेशा सबको मिलकर कायम करने की जरूरत है हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर पत्रकारों की संघर्षपूर्ण भूमिका पर राठौर ने बल दिया।

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