चार हाइड्रोसील फाइलेरिया मरीजों का सफ़ल ऑपरेशन

हाइड्रोसील पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या: डीपीओ

कटिहार:- फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। जिसको लेकर हाथीपांव एवं हाइड्रोसील के मरीजों को परामर्श भी दिया जाता है। इसी दौरान लोगों की स्क्रीनिंग कर हाइड्रोसिल के मरीजों की पहचान करते हुए उनका सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी किया जाता है। दो दिन पूर्व ज़िले के कोढ़ा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में 15 मरीज़ों की स्क्रीनिंग की गयी। इस दौरान केवल 4 मरीज़ों का चयन ऑपरेशन के लिए किया गया। इन्ही चार मरीज़ों का स्थानीय अस्पताल में जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह के नेतृत्व एवं सहयोगी ओटी सहायक मनोज कुमार के द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन संपन्न कराया गया। इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोढ़ा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके सिंह, केयर इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार सिंह, केटीएस अमरनाथ कुमार, बीसी कालाजार ओंकार ठाकुर सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे। हाइड्रोसील ऑपरेशन के लिए प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा कैंप का आयोजन: डॉ जेपी सिंह जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने बताया कि ज़िले के विभिन्न प्रखंडों में हाइड्रोसील के मरीज़ों की खोज की गई है। अभी तक मात्र 169 मरीज़ होने की बात सामने आई है। आवश्यकता अनुसार सभी मरीज़ों का ऑपरेशन किया जाना है। लेकिन फ़िलहाल चार मरीजों का कोढ़ा अस्पताल में सफल ऑपरेशन किया गया है। प्रत्येक शुक्रवार को ऑपरेशन के लिए कैंप का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि हाइड्रोसील मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। जिसमें पहला कम्युनिकेटिंग जबकिं दूसरा नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील शामिल है। कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील होने पर अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती है और इसमें सूजन एवं दर्द होता है। हर्निया से पीड़ित मरीज में कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील का खतरा अधिक होता है। वहीं नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली बंद होती है और बचा हुआ द्रव शरीर में जमा हो जाता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में अधिक देखने को मिलता है और कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क होता है ऑपरेशन: एमओआईसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया कि हाइड्रोसील के मरीजों का मुफ्त में इलाज करने की योजना सरकार ने शुरू की है। कैंप का आयोजन कर मरीजों का ऑपरेशन भी किया जा रहा है। मरीजों को आने-जाने का खर्च और दवाएं भी सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही 12 घंटे के अंदर ही मरीजों को हास्पिटल से छुट्टी भी दे दी जाती है। हाइड्रोसिल के मरीजों का ऑपरेशन किसी भी अस्पताल में हो सकता है। लेकिन निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के लिए पांच हजार से अधिक रुपए का खर्च आता है। जबकिं जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल या किसी अन्य सरकारी अस्पतालों में यह ऑपरेशन बिल्कुल निःशुल्क किया जाता हैं हाइड्रोसील पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या: डीपीओ केयर इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 169 हाइड्रोसील के मरीज हैं। इनलोगों को समय-समय पर अस्पताल बुलाकर जांच की जाती है। हाइड्रोसील एक यौन संचारित संक्रमण या इससे जुड़े अन्य संक्रमण के रूप में देखा जाता है। हालांकि हर्निया से पीड़ित पुरुष में हाइड्रोसील होने का खतरा अधिक होता है। लेकिन कुछ मामलों में हाइड्रोसील आनुवंशिक कारणों से भी होता है। हाइड्रोसील पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य समस्या है। इस बीमारी से ग्रसित पुरुष के अंडकोषों में पानी भर जाता है, जिस कारण अंडकोष में सूजन आ जाती है। हालांकि हाइड्रोसील किसी भी पुरुष को हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह 40 से अधिक उम्र के पुरुषों में देखा जाता है।

Live Cricket

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Don`t copy text!
Close
Close