प्रखंड स्तर पर माइक्रो फाइलेरिया की प्रसार दर को जानने के लिए एनबीएस जरूरी:-डॉ. श्रीवास्तव

बक्सर:- जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे का संचालन किया जाना है। जिसको लेकर प्रखंडों में भी तैयारी शुरू कर दी गई है। इस क्रम में बीते दिन चौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लॉक कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए प्रखंड के दो गांवों का चयन किया जाना है। जिसमें एक सेंटिनल और एक रैंडम साइट बना कर लोगों के खून का सैंपल लिया जाएगा। चयनित स्थलों पर रात 8:30 से 12 बजे तक की अवधि के दौरान व्यक्तियों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। चूंकि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता है। जिसे शत प्रतिशत पूरा करने के लिए नाइट ब्लड सर्वे को चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर माइक्रो फाइलेरिया प्रसार के दर को जाना सके। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माइक्रो फैलेरिया के प्रसार को रोकना है। जिसके लिए नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्तियों की भी जांच जरूरी है। फाइलेरिया या हाथीपांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। इसके परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है।           इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम के तहत अपने रक्त के नमूने की जांच अनिवार्य रूप से कराएं। हालांकि, इस बात का खास ध्यान रखना है कि सर्वे के दौरान 20 वर्ष व उससे अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाओं का ही सैंपल लिया जाए। इससे कम उम्र के लोगों का सैंपल नहीं लिया जाएगा। एनबीएस के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी:-उन्होंने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान दोनों साइट्स पर 300-300 लोगों के सैंपल लिए जायेंगे। इसके लिए जरूरी है कि चयनित साइट्स के गांव में लोगों को इस संबंध में जानकारी हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ब्लड सैंपल लिया जा सके। इस क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि नाइट ब्लड सर्वे के एक दिन पहले सेंटिनल और रैंडम साइट के गांव में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसमें लोगों को फाइलेरिया के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हें नाइट ब्लड सर्वे और सर्वजन दवा सेवन अभियान की महत्ता के संबंध में बताया जाएगा। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग के फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ साथ जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को भी अभियान में शामिल किया जाएगा। जिनके माध्यम से स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा सकेगा। साथ ही, विभाग के निर्देशानुसार नाइट ब्लड सर्वे के दौरान पंचायती राज संस्थानों के जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग के अधिकारी लाइट व अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करेंगे। इसके लिए आप सभी संबंधित विभाग से समन्वय स्थापित कर समय से सभी आवश्यक सामग्री व वायस्थाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें। ताकि, सर्वे का सफल संचालन किया जा सके। फाइलेरिया का कोई ठोस इलाज नहीं:-बैठक में वीबीडीएस गुड्डू पाठक ने बैठक में शामिल लोगों को बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की प्रारंभिक समस्या वा दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे- धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर ही प्रखंड में एमडीए अभियान चलाया जायेगा। जिसमें प्रखंड अंतर्गत सभी गांवों में आशा कार्यकर्ताएं घर घर जाकर लोगों को अपने समक्ष दवाओं का सेवन कराएंगी। बैठक में आईसीडीएस विभाग की पर्वेक्षिका रेखा देवी, जीविका के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर, बीएचएम बीसीएम मंजू कुमारी, पीरामल फाउंडेशन के अविकल्प मिश्रा व रंजीत कुमार, आशा फैसिलिटेटर, लैब टेक्नीशियन व अन्य लोग मौजूद रहे।

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