सामान्य टीबी से ज्यादा खतरनाक है एमडीआर टीबी:-सीडीओ

सासाराम:- सामान्य टीबी बीमारी से जूझ रहे लोगों द्वारा लापरवाही एवं दवा का पूर्ण सेवन नहीं करना घातक हो सकता है। टीबी की शुरुआती लक्षणों को सही तरीके से उपचार न मिले तो यह बीमारी एमडीआर यानी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट में तब्दील हो जाता है। इस दौरान या बीमारी जानलेवा साबित होती है। जिला यक्ष्मा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार रोहतास जिले में वर्तमान में 2600 के आसपास टीबी से पीड़ित मरीज है, जिसमें 125 के करीब एमडीआर से पीड़ित मरीज मौजूद है। एमडीआर टीबी से पीड़ित मरीजों का जिला यक्ष्मा केंद्र द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है और नियमित दवा सेवन के साथ साथ नियमित काउंसलिंग कर जानकारी ली जा रही है ताकि मरीज दवा सेवन में लापरवाही न बरते। एमडीआर स्टेज में पहुंचने के बाद यदि दवा का नियमित सेवन नहीं किया जाए तो यह स्टेज और आगे विकसित होकर टीडीआर में तब्दील हो जाएगा जो एमडीआर से भी ज्यादा घातक साबित होता है। नियमित दवा का सेवन जरूरी:-सीडीओ डॉ राकेश कुमार ने बताया कि सामान्य टीवी से एमडीआर ज्यादा खतरनाक होता है और यह तब होता है जब दवा रेजिस्टेंस हो जाता है। यानी सामान्य टीबी का दवा काम करना बंद कर देता है। और यह तभी होता है जब टीबी बीमारी के शुरुआती दौर में प्रॉपर तरीके से दवा का सेवन न किया जाए। सीडीओ ने बताया कि एमडीआर टीबी एक ऐसा स्टेज है जिसमे टीबी के इलाज में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली दवाएं आइसोनियाडीज और रिफामसिन का असर न के बराबर न के बराबर होता है।           उन्होंने बताया कि इस बीमारी में पीड़ित के शरीर में टीबी बैक्टीरिया दवाओं के प्रति इतने रेजिस्टेंट हो जाते हैं कि इनका असर बहुत कम होता है। सीबी नेट और ट्रू नेट से होता है जांच:-सीडीओ ने बताया कि टीबी के जांच की सुविधा सदर अस्पताल में मौजूद है। उन्होंने बताया कि एमडीआर की जांच भी उपलब्ध है। एमडीआर की जांच मुख्यतः सीबी नेट और ट्रू नेट मशीन के माध्यम से होता है जो यक्ष्मा केंद्र में मौजूद है। डॉक्टर राकेश कुमार ने बताया कि सीबी नेट और ट्रू नेट जांच में रेफेंसिन रेजिस्टेंट डिटेक्टर होने पर उसे एमडीआर माना जाता है और उसके बाद मरीज को एमडीआर की दवा उपलब्ध कराई जाती है। 18 से 20 महीना तक चलाया है दवा:-जिला क्षमता केंद्र के डॉट प्लस टीवी एचआईवी सुपरवाइजर आदित्य आकाश ने बताया कि एमडीआर टीवी होने पर मरीज को 18 से 20 महीने तक लगातार दवा सेवन करना पड़ता है| उन्होंने बताया कि इस स्टेज के लिए बेड़ाक्विलाइन मुख्य दवा मानी जाती है। इसके अलावा प्रीटोमानिड, लाइनजोलिड और मेक्सिफ्लोसिन भी दिया जाता है। बेड़ाक्विलाइन दवा की बाजार में कीमत 12 लाख के आसपास है जो विभाग द्वारा एमडीआर टीबी मरीज को निशुल्क मुहैया कराया जाता है। आदित्य आकाश ने बताया कि एमडीआर में इन सभी दवाओं का सेवन लगातार 18 से 20 महीना करना जरूरी हो जाता है। इस बीमारी से अन्य लोगों को बचाने के लिए टीबी से पीड़ित मरीजों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसके लिए टीबी पीड़ित मुंह पर मास्क जरूर लगाए। इसके अलावा अलग कमरे में ही रहने की कोशिश करें। जहां तहां थूकने से बचे। यदि कहीं थूकते हैं तो वहां पर बालू या राख जरूर डालें, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति में ना प्रवेश करें।

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