एनबीएस के लिए चयनित गांवों के एक एक घरों में जाकर लोगों को दें जानकारी:- बीडीओ

बक्सर:-फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में संचालित होने वाले नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) को लेकर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग की तैयारी अंतिम चरण में है। इसको लेकर अब प्रखंडों में प्रखंड समन्वय समिति की बैठक आयोजित कर एमबीएस की तैयारियों और उसके लिए जरूरी इंडिकेटर्स पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी रोहित मिश्रा ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए जरूरी है कि इसके लिए जिन दो गांवों का चयन किया जाए, वहां के मुखिया समेत सभी जनप्रतिनिधि, जीविका, आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं समेत सभी सहयोगी संस्थाओं के सदस्यों के साथ बैठक कर एनबीएस व उसकी तैयारियों की चर्चा करें। जिसके बाद चयनित गांवों के एक एक घरों में जाकर लोगों को एनबीएस व उसके महत्वों की जानकारी दें। ताकि, लोगों इसके प्रति जागरूक हो और एमबीएस में अपना सहयोग दें। उन्होंने बताया कि सरकार के निर्देशों के अनुसार एनबीएस में स्थानीय स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और स्थानीय प्रतिनिधियों का सहयोग लेना है। जिनके माध्यम से नाइट ब्लड सर्वे से पूर्व चयनित स्थल पर लाइट व अन्य मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें। ताकि, एनबीएस का सफल संचालन किया जा सके। साथ ही, उक्त गांवों में बैनर व पोस्टर के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करें। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित कर उनका ब्लड सैंपल लिया जा सके। शिविर लगाकर 300-300 लोगों का लिया जाएगा ब्लड सैंपल:-बैठक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि सदर प्रखंड में एनबीएस के लिए दो गांवों का चयन किया जाना है। इसके लिए एक गांव का चयन रैंडम और दूसरे गांव का चयन सेंटिनल तरीके से करना है। इसके बाद उन दोनों गांव में रात 8:30 बजे से 12 बजे तक शिविर लगाकर 300-300 लोगों का ब्लड सैंपल लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के शुरुआती दौर में फाइलेरिया के कीटाणु लोगों के शरीर में छिपे रहते हैं, जो रात में ही एक्टिव होते हैं। रात में ही लोगों के शरीर के ब्लड सैंपल सही तरीके से लेकर माइक्रोस्कोप द्वारा उसकी सही तरह से जांच करने पर फाइलेरिया कीटाणु की पहचान हो सकती है। इसकी पहचान के लिए लोगों के ब्लड सैंपल का थिकनेस महत्वपूर्ण है।        शिविर में लिए गए ब्लड सैंपल की 24 घंटे में जांच होने पर उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है। शुरुआती समय में ही शरीर में माइक्रो फाइलेरिया चिह्नित होने पर उसका तत्काल इलाज किया जा सकता है। इसके लिए नाइट ब्लड सर्वे में सही तरीके से ब्लड सैंपल इकट्ठा करते हुए उसकी सही तरीके से जांच आवश्यक है। इसके लिए चयनित लैब टेक्नीशियन को टेलिस्कोप द्वारा ब्लड सैंपल में फाइलेरिया की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा। फाइलेरिया से बचाव के लिए चलाया जायेगा एमडीए:-एमओआईसी डॉ. सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे में संभावित फाइलेरिया ग्रसित मरीज की पहचान होने पर उन्हें तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, नाइट ब्लड सर्वे की जांच में अगर संबंधित प्रखंड में एक व उससे अधिक प्रतिशत लोगों के ब्लड सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया की पुष्टि होती है, तो पूरे प्रखंड के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए वहां सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि चयनित गांवों में अगर कोई फाइलेरिया का मरीज ना हो और वो भी इस रोग से सतर्क रहना चाहते हैं तो नाइट ब्लड सर्वे का लाभ लेकर भविष्य अपना सुरक्षित कर सकते हैं। इसका लाभ लेने के लिए वो अपने गांव की आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर सकते हैं। जो उनके गांव में आयोजित होने वाले नाइट ब्लड सर्वे के लिए संचालित शिविर स्थल पर पहुंचने में मदद करेंगी। यह ध्यान रहे कि यह सर्वे बिल्कुल नि:शुल्क है, इसमें किसी प्रकार का शुल्क कहीं नहीं देना है। साथ ही, जांच में फाइलेरिया की पुष्टि हो जाने पर लोगों का नि:शुल्क उपचार किया जाएगा। बैठक में बीपीआरओ चंद्र शेखर, सीडीपीओ श्वेता कुमारी, आयुष चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह, बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह, पीरामल इंडिया के अविकल्प मिश्रा व रंजीत कुमार के अलावा अन्य लोग शामिल हुए।

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