78 प्रतिशत गर्भवतियों को मिली प्रसव पूर्व संपूर्ण जांच

पटना:-राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसके लिए प्रत्येक गर्भवती को चार बार प्रसव पूर्व जांच की सुविधा के साथ कुछ जरूरी जांच भी की जाती है। वर्ष 2023-24 से लेकर इस वर्ष के प्रथम तिमाही के बीते दो महीने अप्रैल और मई में कुल 78 प्रतिशत गर्भवतियों ने राज्य में चार या उससे ज्यादा बार प्रसव पूर्व जांच की सुविधा का लाभ उठाया है। उल्लेखनीय है कि राज्य में इस दौरान कुल 33 लाख 38 हजार 7 गर्भवतियों ने एएनसी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसमें से कुल 26 लाख 11 हजार 125 गर्भवतियों की चार या उससे ज्यादा प्रसव पूर्व जांच की गयी।          एचआइएमएस के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चार प्रसव पूर्व जांच करने में राज्य के 10 जिलों ने रजिस्टर्ड एएनसी में से 90 प्रतिशत से अधिक गर्भवतियों की चार या उससे ज्यादा बार प्रसव पूर्व जांच की। प्रथम तीन सबसे ज्यादा एएनसी करने वाले जिले में शेखपुरा, मुंगेर और अरवल शामिल हैं। यही नहीं, सभी जिले ने 50 प्रतिशत अधिक से पूर्ण एएनसी की है। इस संबंध में एम्स, पटना की एडिशनल प्रोफेसर व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ इंदिरा प्रसाद कहती हैं कि प्रसव पूर्व जांच कराने से सुरक्षित प्रसव और उच्च जोखिम वाली स्थिति का पता चलता है तथा इसका प्रबंधन आसान हो जाता है। यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी सहायक होता है। संस्थागत प्रसव कराने में पूर्णिया सबसे आगे:-इसके अलावा, सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव पर विभाग जोर दे रही है। प्रथम तिमाही के पहले दो महीने तक राज्य में कुल 56 प्रतिशत संस्थागत प्रसव सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र पर हुए हैं, जबकि मात्र 3.7 प्रतिशत प्रसव निजी संस्थानों में हुए हैं। हालांकि निजी क्षेत्र का आँकड़ा अपडेट नहीं है या अपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में संस्थागत प्रसव कराने में पूर्णिया जिला 86 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है। वहीं आठ जिलों के निजी संस्थानों ने जीरो संस्थागत प्रसव रिपोर्ट किया है।

प्रसव पूर्व जांच में टॉप 10 जिले और उनका प्रतिशत
शेखपुरा :113
मु्ंगेर :112
अरवल :103
बांका :95
शिवहर :93
दरभंगा :93
पूर्णिया :92
नवादा :92
खगड़िया :91
सुपौल :91
संस्थागत प्रसव में टॉप 5 जिले व उनका प्रतिशत
पूर्णिया :86
मधेपुरा :79
मुजफ्फरपुर :73
खगड़िया :73
सुपौल:73

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