फरवरी 2025 तक बिहार को हाइड्रोसील मुक्त बनाएं:-स्वास्थ्य मंत्री 

पटना:- 10 अगस्त से राज्य के 13 जिलों में शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का शुभारम्भ आज पटना में स्वास्थ्य मंत्री, मंगल पाण्डेय ने स्वयं फाइलेरिया रोधी दवाएं खाकर किया। उन्होंने अपने सामने ही उपस्थित लाभार्थियों को भी दवाएं खिलवायी।                             स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है और राज्य से इसके उन्मूलन के लिए कल से राज्य के 13 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। इस कार्यक्रम में फाइलेरिया बीमारी से मुक्ति के लिए लगभग 3.5 करोड़ लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएँ खिलाई जायेगीं। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य में हाइड्रोसील से संक्रमित 22,720 मरीजों का ऑपरेशन फरवरी 2025 तक सुनिश्चित करें और बिहार को हाइड्रोसील मुक्त बनाएं। इसके लिए माहवार कार्यक्रम बनाकार मिशनमोड में सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और अनुमंडलीय अस्पतालों में रणनीति बनाकर कार्य किया जाये। इस मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में हम सब स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा कार्यक्रम के दौरान खिलाई जाने वाली फाइलेरिया से सुरक्षित रखने वाली दवाएं स्वयं भी खाए, अपने परिजनों को खिलाये और आसपास के लोगों को भी दवाएं खाने के लिए प्रेरित करें। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार सुहर्ष भगत, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया, डॉ. परमेश्वर प्रसाद, राज्य स्तरीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पदाधिकारी, एवं सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ही उपरोक्त 13 जिलों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पदाधिकारी भी वर्चुअल रूप से जुड़े हुए थे। कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों से समन्वय बनाकर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अंतर्गत होने वाली सभी गतिविधियों के लिए सुनियोजित रणनीति बनायी गयी है और इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की कोई कमी न रहने पाए।                              प्रत्येक दिन, कार्यक्रम के अंतर्गत संपन्न होने वाली गतिविधियों की समीक्षा की जायेगी और अगर कोई भी कमी पाई गयी है तो उसका तुरंत समाधान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसी कार्यक्रम की सफलता तभी संभव है जब इसमें जन सहभागिता हो। उन्होनें सभी कार्यक्रम अधिकारियों, स्वास्थ्यकर्मियों, स्वयंसेवी संस्थाओ और ग्राम प्रधानों से अनुरोध किया कि वे सब इस कार्यक्रम से जुड़कर जनसमुदाय को इन फाइलेरिया रोधी दवाओ को स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खाने के लिए प्रेरित करे क्यों कि इस बीमारी से बचने का एक ही तरीका है कि इसे होने ही न दिया जाए और साल मे सिर्फ एक बार इन दवाओ के सेवन से हम स्वयं और अपने परिवार के सदस्यों की फाइलेरिया रोग से सुरक्षा कर सकते है। इस अवसर पर अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया, डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि कल से शुरू होने वाले राज्य के 13 जिलों में से 8 जिलों (भोजपुर, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, नालन्दा, नवादा और पटना ) में लाभार्थियों को 2 दवायें यानी अल्बेडाज़ोल और डी.ई.सी. खिलाई जाएगी. जबकि, शेष 5 जिलों (दरभंगा, लखीसराय, पूर्णिया, रोहतास और समस्तीपुर) में 3 दवायें अल्बेडाज़ोल, डी.ई.सी. और आईवरमेक्टिन खिलाई जायेगी।                              मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवायें प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने खिलाई जायेंगी। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद मितली आये, चक्कर जैसे लक्षण होते हैं तो यह सुभ संकेत है। इसका मतलब है कि हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद मर रहें हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी। क्षेत्रीय कार्यालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार डॉ. कैलाश ने कहा कि 158 प्रखंडों में 23000 प्रशिक्षित स्वस्थ्यकर्मियों के माध्यम से लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जायेगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशानुसार फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत खिलाए जाने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए राज्य स्तर से जिला स्तर और प्रत्येक विकास खंड तक समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान गतिविधियों की मॉनिटरिंग की सुनियोजित योजना बनाई गयी है ताकि, किसी भी स्तर पर कोई भी कमी न रह जाये।बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में इस बात का विशेष ध्यान देना है कि जो लोग, अभियान के दौरान घर पर नहीं हैं और दवा खाने से वंचित हो गए हैं, उनमें ऐसी भावना पैदा हो और उन्हें इस तरह जागरूक किया जाये कि वे घर वापस लौटने पर अपने गाँव की आशा के पास जाएँ औए अपने हिस्से की फाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं । इस बात को सुनिश्चित किया जाये तो फाइलेरिया उन्मूलन में अपेक्षित सफलता अवश्य मिलेगी।                             उन्होंने कहा कि बच्चों और युवाओं को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाने का लक्ष्य 100% रखा जाये ताकि, हमारी आने वाली पीढी इस रोग से सुरक्षित रह सके। इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवायें बिहार, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के पदाधिकारी एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीरामल स्वास्थ्य, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, लेप्रा , जीविका, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि और स्थानीय मीडिया सहयोगी भी उपस्थित रहे। सम्बंधित जिलों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों और मीडिया सहयोगियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
अब पायें अपने शहर के सभी सर्विस प्रवाइडर के नंबर की जानकारी एक क्लिक पर


               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Mytesta.com