दवाओं का सेवन कर बक्सर बनाएं फाइलेरिया मुक्त:-जिला जज

बक्सर:- जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलने वाले सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए), 2024 का संचालन पूरे जिले में किया जा रहा है। इस अभियान को गति प्रदान करने के उद्देश्य से माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद नंदन सिंह की अध्यक्षता में अन्य न्यायाधीशों के साथ एसोसिएशन के सदस्यों ने गुरुवार को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया। इस दौरान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देव राज, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार, बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बबन ओझा व बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी पप्पू पाण्डेय ने भी दवाओं का सेवन किया।         इस दौरान माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद नंदन सिंह ने सभी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं से फाइलेरिया रोधी दवाओं का अनिवार्य रूप से सेवन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया जैसी भयावह बीमारी से बचने के लिए हम सभी को स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करना होगा। ताकि, हर कोई इस अभियान के दौरान दवाओं का सेवन कर बक्सर जिला समेत पूरे राज्य को फाइलेरिया से मुक्त बना सके। इस बीमारी को कोई इलाज नहीं है:-इस क्रम में सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसीका (लिंफेटिक) प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिम्फेडेमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण मरीज को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसे हाथीपांव रोग के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, यह पैरों के साथ हाथ, पुरुषों में हाइड्रोसील और महिलाओं के स्तन को भी प्रभावित करता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरुआती लक्षण होते हैं। इस बीमारी को कोई इलाज नहीं है। हम केवल फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर ही इस बीमारी से बच सकते हैं। फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद:-अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक दीर्घकालिक बीमारी है। कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्षण सामने आने में वर्षों लग जाता है। इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद है। फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दो तरह की दवा यथा डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यह दवाएं दो साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रोग से ग्रसित एवं गर्भवती महिला को नहीं खिलाई जा रही है।           उम्र और लंबाई के हिसाब से लाभुकों को दवाओं का सेवन कराया जा रहा है। इसमें एक बात का ध्यान रखना है कि खाली पेट इन दवाओं का सेवन नहीं करना है। मौके पर न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं के साथ सदर बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह, पीसीआई के जिला प्रतिनिधि रामजन्म सिंह, पीरामल के जिला प्रतिनिधि अविकल्प मिश्रा व अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।

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