स्वस्थ व सुखी परिवार के लिए परिवार नियोजन व एनीमिया से बचाव जरूरी:-सीडीपीओ

बक्सर:-जिले में एक ओर स्वास्थ्य विभाग की ओर से परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है, वहीं आईसीडीएस के द्वारा पोषण पखवाड़ा का संचालन भी किया जा रहा है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के संयुक्त तत्वावधान में डुमरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवार नियोजन सह पोषण मेला का आयोजन किया गया।          इस मेला में लाभुकों को परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों के साथ एनीमिया से बचाव को लेकर जानकारी दी गई। पोषण माह अंतर्गत थ्री-टी (टेस्ट, ट्रीट और टॉक) कार्यक्रम के तहत सभी को हीमोग्लोबिन जांच एवं आयरन गोली का वितरण किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन चिकित्सा पदाधिकारी जियाउद्दीन अहमद, डॉ. टीएन राय, डॉ. संतोष कुमार एवं सीडीपीओ नीरू बाला ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। सीडीपीओ नीरू बाला ने बताया कि स्वस्थ एवं सुखी परिवार के लिए परिवार नियोजन व एनीमिया से बचाव बेहद जरूरी है। यदि कोई दंपति इन दोनों मुद्दे पर विचार कर इसे अपने जीवन में आत्मसात करते हैं तो उन्हें न महंगाई और न ही अन्य चीजों को लेकर भविष्य में चिंता करनी होगी। परिवार नियोजन के माध्यम से वो अपना परिवार छोटा कर सकेंगे और एनीमिया से बचाव कर अपनी पत्नी और बच्चों को भविष्य में होने वाले खतरे से बचाव कर सकेंगे। टी- थ्री पर फोकस कर एनीमिया की दर में लाई जाएगी कमी सीडीपीओ ने बताया कि पोषण माह के अंतर्गत एनीमिया दर में कमी के लिए टी- पर फोकस किया गया है।          इसके अंतर्गत टेस्ट, ट्रीट और टॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस विधि में डुमरांव प्रखंड समेत पूरे जिले में गर्भवती महिलाओं और किशोरियों की डिजिटल विधि से रक्त की जांच की जा रही है। जांच में कमी पाए जाने पर उनका उपचार किया जा रहा है। टी-थ्री शिविर में लोगों में उचित आहार की आदतों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ एनीमिया की रोकथाम पर परामर्श भी दिया जा रहा है। एनीमिया से जूझ रहे व्यक्ति अक्सर थकान, कमजोरी और कम प्रोडक्टिविटी का अनुभव करते हैं, जिससे उनकी प्रगति करने और समाज में सार्थक योगदान देने की क्षमता बाधित होती है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान एनीमिया मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है, जिससे जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म और मातृ मृत्यु जैसे प्रतिकूल परिणामों की संभावना बढ़ जाती है। परिवार नियोजन को लेकर लोगों को काफी सजग रहने की आवश्यकता:-परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा पर जोर देते हुए डॉ. जयाउद्दीन अहमद ने बताया कि परिवार नियोजन को लेकर लोगों को काफी सजग रहने की आवश्यकता है। दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य होना चाहिए।           ग्रामीण इलाकों में देखा जाता है कि कम उम्र में लड़कियों की शादी कर देने के बाद वह कम उम्र में ही गर्भ धारण कर लेती हैं, जो उनके शारीरिक विकास में बाधक बनती है। ऐसे में काफी आवश्यक है कि एक सही उम्र में ही महिलाओं को गर्भधारण करना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर परिवार कल्याण विभाग द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें बंध्याकरण काफी महत्वपूर्ण है। लोगों को जागरूक होना होगा और परिवार कल्याण के तौर-तरीकों को इस्तेमाल में लाना होगा। इससे न सिर्फ समाज, बल्कि पारिवारिक रूप से भी उनका विकास समृद्धशाली तरीके से किया जा सकता है। मेले में महिलाओं एवं पुरुषों के बीच परिवार नियोजन के अस्थाई तरीके से संबंधित सामग्री मसलन निरोध, माला एन, छाया, अंतरा, काॅपर-टी आदि का वितरण किया गया।           मेला में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक अफरोज अहमद, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक अक्षय कुमार, वीबीडीएस अभिषेक सिन्हा, प्रधान लिपिक कृष्णा प्रसाद, भंडारपाल बिंदेश्वर प्रसाद, एएनएम, आशा कार्यकर्ताएं और आंगनबाड़ी सेविकाओं के अलावा लाभुक भी मौजूद रहे।

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