परिवार नियोजन में चिन्हित कमजोर जिलों के लिए बनी रणनीति

पटना:-परिवार नियोजन कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अपनी योजनाओं को और मजबूत कर रहा है। राष्ट्रीय परिवार हेल्थ सर्वेक्षण के अनुसार परिवार नियोजन में कमजोर प्रदर्शन करने वाले जिलों को चिन्हित किया गया है। कमजोर प्रदर्शन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुल 13 जिलों को चिन्हित कर इन्हें उच्च प्राथमिकताओं वाले जिलों में शामिल किया है। उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में अररिया, बेगुसराय, दरभंगा, मोतिहारी, जहानाबाद, कटिहार, खगड़िया, मधेपुरा, मधुबनी, पूर्णियां, सहरसा, सीतामढ़ी और बेतिया शामिल हैं। एचएफएचएस के चार मानकों को बनाया आधार:-विभाग ने कमजोर जिलों को चिन्हित करने के लिए एनएफएचएस 5 के चार मानकों को आधार बनाया है। मानकों में टोटल अनमेट नीड, परिवार नियोजन के लिए किसी भी तरह के आधुनिक तरीके का इस्तेमाल, 20 से 24 साल की ऐसी महिलाएं जिनकी शादी 18 से पहले हुई हो, और 15 से 19 के बीच ही मां बनने वाली महिलाओं के आंकड़े शामिल हैं।                                 पटना विश्वविद्यालय में पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर में एसोशिएट प्रोफेसर रह चुके डॉ दिलीप कुमार के अनुसार टोटल अनमेट नीड किसी भी परिवार नियोजन की रीढ़ है। इसके अलावा किशोरावस्था में शादी और 15 से 19 के बीच में मां बनना किशोरियों के प्रजनन स्वास्थ्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक है। परिवार नियोजन के लिए राज्य से लिए गए कदम
परिवार नियोजन में राज्य के आंकड़े प्रोत्साहित करने वाले हैं। राज्य में कुल प्रजनन दर, स्थायी साधनों के प्रयोग के आंकड़ों में सुधार तो हुआ है,पर इसके अलावा एनएफएचएस के मानकों पर खरा उतरने और कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों के लिए राज्य की तरफ से एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें मानकों के आधार पर कम प्रदर्शन करने वाले प्रखंड और स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान, जिलों एवं प्रखंडों का सतत मूल्यांकन, जिला स्तर पर सीएचओ और एएनएम के कम्युनिकेशन स्किल्स में विकास कर मास्टर ट्रेनर के रूप में विकसित करना,वीसी के द्वारा परिवार नियोजन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से पाक्षिक वार्ता स्थापित करना,कमजोर प्रदर्शन करने वाले जिलों से लगातार संपर्क स्थापित करना और परिवार नियोजन के रिक्त पड़े पदाधिकारियों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की रिक्तियों को पूरा किया जाएगा।

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