6-दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

सहरसा:- मुकेश कुमार, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र, सहरसा एवं श्री नीतेश कमार, उघोग विस्तार पदाधिकारी जिला उद्योग केन्द्र, सहरसा के साथ-साथ मलवरी प्रसार सह प्रशिक्षण केन्द्र, सहरसा के कर्मियों की उपस्थिति में सिल्क समग्र-2 के तहत अंडी रेशम विकास योजनान्तर्गत कहरा प्रखण्ड के समरथा ग्राम में 50 एवं 47 कृषको के दो ग्रुप को अंडी खाद्य पौधारोपण, कीटपालन तथा बीजागार का दिये जा रहे 6-दिवसीय प्रशिक्षण का समापन किया गया। प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित संजीव कुमार सुमन, पीजीडीएस द्वारा प्रश्नोत्तरी के पश्चात् सभी प्रशिक्षणार्थी कृषकों को जिला उद्योग केन्द्र, सहरसा के महाप्रबंधक महोदय एवं उद्योग विस्तार पदाधिकारी के करकमलो द्वारा संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरणोपरान्त प्रशिक्षक के द्वारा अंडी खाद्य पौधारोपण, कीटपालन तथा बीजागार से होने वाले लाभ/आमदनी के बारे में बताया गया कि एक किसान आधा एकड़ में 150 रोमुच का पालन कर सकते हैं।          जिससे लगभग 30 किग्रा अंडी कोकून का उत्पादन हो जाएगा। एक वर्ष में कम से कम 4 चार बार कीट पालन कर सकते हैं। जिसके अनुसार लगभग 120 किग्रा ककून एक साल में उत्पादन कर सकते हैं। अंडी ककून का बाजारदर कम से कम 600/-रू. प्रतिकिलो हैं। इसप्रकार 120 किग्रा का कीमत 72000/-होता हैं। जिसमें से रोमुच का कीमत 6/- रू. की दर से 900/-रू. घटाने पर 71100/-रू. का आमदनी प्रति किसान प्रति वर्ष हो जाएगा। प्रशिक्षण समापन कार्यक्रम के पश्चात् श्री मुकेश कुमार, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र, सहरसा के द्वारा सिल्क समग्र-2 के तहत अनु जाति के लिए अंडी रेशम विकास योजनान्तर्गत अंडी पौधारोपण, कीट पालन तथा बीजागार के लिए दिये जाने वाले सहायक अनुदान के बारे में बताया गया कि प्रत्येक कृषक को 65ः25ः10 अर्थात केन्द्रांश 65 प्रतिशत राज्यांश 25 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत लाभुक अंशदान के अनुपात में सहायक अनुदान प्रदान किया जाएगा। जिसके तहत अंडी/कशेरू पौधारोपण के लिए सिल्क समग्र-2 अन्तर्गत निर्धारित राशि का सहयोग प्रदान किया जाएगा। अंडी कीटपालन के लिए सिल्क समग्र-2 अन्तर्गत निर्धारित कीटपालन सामग्री की सहायता के साथ-साथ कीटपालन गृह निर्माण की सहायता प्रदान की जाएगी एवं अंडी बीजागार के लिए अंडी बीजागार गृह निर्माण हेतु सिल्क समग्र-2 अन्तर्गत निर्धारित राशि की सहायता के साथ-साथ बीजागार उपकरण/सामग्री की सहायता प्रदान की जाएगी। अन्त मे अंडी पौधारोपण, कीटपालन तथा बीजागार से होने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए कृषकों को अंडी रेशम के खाद्य पौधे कशेरू जो एक विशेष प्रजाति के पौधे हैं, की सुरक्षा के लिए आवश्यक निदेश दिया गया।

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