बिहार के एफआरयू में नाइट सी-सेक्शन सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में नए कदम

पटना:-स्वास्थ्य विभाग मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए एफआरयू यानी फर्स्ट रेफरल यूनिट को सशक्त करने के प्रयास में जुटी है. इस पहल के तहत राज्यभर में एफआरयू में नाइट सी-सेक्शन सेवाओं को सशक्त किया जा रहा है, ताकि रात्रि में भी जटिल प्रसव के मामलों का सुरक्षित रूप से निपटारा हो सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सुरक्षित सी-सेक्शन सेवाएं, विशेष रूप से रात के समय, मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. आपातकालीन प्रसव सेवाओं की उपलब्धता यह सुनिश्चित करती है कि सभी महिलाओं को समय पर जीवनरक्षक चिकित्सा सहायता मिल सके। जिलों में नाइट सी-सेक्शन की स्थिति:-पिछले छह महीनों में कई जिलों ने नाइट सी-सेक्शन मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।          वैशाली जिला 512 नाइट सी-सेक्शन मामलों के साथ सबसे आगे रहा, जो मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती को दर्शाता है. इसी प्रकार, कैमूर में 327 और सिवान में 288 नाइट सी-सेक्शन केस दर्ज किए गए. भोजपुर में 175, सीतामढ़ी में 171 और नालंदा में 131 नाइट सी-सेक्शन केसों का रिकॉर्ड हुआ. राज्य के अन्य जिलों में भी नाइट सी-सेक्शन सेवाओं में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं.राज्य सरकार ने एफआरयू पर नाइट सी-सेक्शन सेवाओं को नियमित करने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि प्रसवकालीन जटिलताओं के दौरान माताओं और शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. इसके लिए, सभी एफआरयू पर ब्लड स्टोरेज यूनिट और ब्लड बैंक की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर रक्त की आपूर्ति में कोई कमी न हो. इसके साथ ही, जिन जिलों में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयाँ (एनबीएसयू/एसएनसीयू) पहले से क्रियाशील हैं, वहां बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि गंभीर स्थिति में शिशुओं को तत्काल उपचार मिल सके.मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल:-एम्स पटना की एडिशनल प्रोफेसर सह स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषग्य डॉ. इंदिरा प्रसाद ने बताया कि क्रियाशील एफआरयू पर रात्रि में सी-सेक्शन सेवाओं की उपलब्धता से प्रसवकालीन आपात स्थितियों में महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता मिलेगी, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी सहायता मिलेगी. इससे राज्य के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं सशक्त होंगी, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का व्यापक सुधार संभव हो सकेगा।

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